पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१५१

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मोड्वीया की लड़की तो पावेल को याद पाया कि वह किस तरह एक चिड़िया की तरह चहक्ता रहता था । वह कितना हँसोद , थियेटर जाने का शौकीन और गाने वाला या । पावेज़ गहरे विचार में डूब गया । उसे लगा कि जैसे अभी उससे कोई और ही श्रादमी वात कर रहा था , कोई ऐसा श्रादमी जो पुराने मर्दीकोव से श्रोधक घनिष्ठ और परिचित था । यह पहिला मौका था जब उसने एक कामरेड को अपने दिमाग में घूमने वाली बातों को इतनी सरलतापूर्वक कहते सुना था । अपनी खराद पर खड़ा हुश्रा पावेल सोचने लगा । " वह अब मुझे समझ सकेगा । मुझे उससे और गहरी दोस्ती करनी पढ़ेगी । जिस तरह में रहता हूँ यह ठीक नहीं .... । " उसके विचार पूरे न हो सके । एक हफ्ते से भी कम समय में हो सर्दीकोव इंटों के अहाते के पास झाड़ियों में पड़ा पाया गया और बहुत समय तक उसे अस्पताल में रखा गया । " क्या जिन्दगी है ? " अपने मकान के कमरे में इधर से उधर बहन कदमी करता हुआ पावेल कह रहा था , " मुझे उसके लिए अफसोस है । इसना भयंकर अफसोस है कि मैं तुमसे कह फहीं सकता, दाशा ! यह इतना प्रच्छा शादमा है .......... " यह उसकी बगल में बैठ गया और धीमी धापान में फहता रहा । " तुम्हें पता है उसने अभी कुछ दिन हुग मुझसे अपनी औरत फे पारे में बात की थी ..... " " अच्छा होता कि वह अपना मुंह बन्द रक्ता, पदमाश ! " दागा यहाई , "यग तुम समझरो हो कि मुझे उसके पिटने का कारण मालूम नहीं ? " ___ "देखो दासा " " दरसमल तुम हरेक बदमाश के लिए कोई न कोई बहाना है लेते हो , दर, गुम्हारा कामरेट या न ! " उसने गुस्से से रहा ।