पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१५४

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१५६ मोड् दीया की लड़की - - - - - - असफल अनुसन्धान के उपरान्त मनुष्य दिखाई देते हैं । एक काला सवार घोड़े की जीन पर हिलता तुलता उसकी बगल से निकल गया । घोड़े की टापों से सड़क पर दो नोली चिनगारियों उठती हुई दिखाई दी । एक भारी डील -डौल वाला सिपाही एक लम्बे बालो वाले मजदूर को गले में रस्सा डालकर ले जा रहा था । मजदूर ने इधर उधर लड़खड़ाते हुए अपना हाथ धमकी देते हुए ठाया और एक बड़ी मक्खी की तरह भनमना उठा : " मैं तुम्हें दिखा दूंगा , ज जरा ठ-ठहरो और दे- देखो " एक हाकार का कर्मचारी एक जवान खूबसूरत स्त्री की बाह में बाह डाले हुए निकला और अपने पीछे विचित्र शब्दों की एक लड़ी सी छोड़ता गया "बिल्कुल थोड़ा सा खुला हुआ और कोई भी उसमें से नहीं जा सकता . . . . . " दरवाजों में होकर मुंह बाहर डालते हुए कुत्त उनींदी आवाज में भौंक उठते । चर्च का चौकीदार श्राराम से घरटे वजा रहा था । वह एक चोट मारता और तव तक इन्तजार करता जब तक उसकी गूज हवा में गायब न हो जाती जैसे ठडे पानी से भरे हुए कटोरे में आँसू की बूद । " दस " पावेल ने गिना । उसने उस छोटो मोड्पीया की लड़को को श्राश्चर्यचकित कर दिया जो एक भूरा घाघरा और पीला व्लाउज पहने हुए थी जिसके सामने गोटा लगा हुआ था । उसके पास तीन ब्लाऊज थे और उन सब में विभिन्न प्रकार , की पीली छाया थी । वे सब उसके छोटे भी हो गए थे । जब वह अपने हाय ! उठाती वो उनके किनारे उसकी कमर पर से ऊपर खिसक पाते और जब वह अपना शरीर मुकाती तो घर की बनी हुई लिनिन की शमीज की एक मलक हरक देख सकता था जिसे वह उसके नीचे पहने रहती थी । उसका घाघरा भी उसके ठीक तरह से नहीं पाता या , टेदा मेहा सा लगता था ।