पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१९०

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बुरिया इनरगिज " उन मनुष्यों ने जो अत्यधिक हर्ष और प्राशा से भर उठे थे, यह नहीं देखा कि वह मर गया है । और उन्होंने यह भी नहीं देखा कि उसका वीर हृदय उसके मृत शरीर के पास अब भी जल रहा था । उनमें से केवल 0 ने, जो दूसरों से अधिक सावधान था , इस दृश्य को देखा और भयाक्रांत होकर उस वीर हृदय पर चढ़ बैठा । यह हृदय फट कर चिनगारियों में बदल गया और तुम गया । " इन नीली चिनगारियों को प्रत्पन्न करने वाला रहस्य यही है जो इन घास के मैदानों में तूफान आने से पूर्व दिखाई देने लगता है । जब उस बुढ़िया ने अपनी सुन्दर कहानी समाप्त की तो उस मैदान में एक गम्भीर निस्तब्धता छा गई मानो वह उस बहादुर दान्को की उस अपूर्व इच्छा शक्ति की कहानी सुनकर स्तब्ध रह गया हो जिसने मनुष्यो के लिये अपना जलता हुधा हृदय बाहर निकाल लिया था और प्रतिदान में कुछ भी न माँगकर मर गया था । बुढ़िया ऊँघने बगी थी । मैंने उसकी ओर देखा और मन में सोचा कि श्रमी न जाने कितनी कहानियों और प्राचीन स्मृतियों इस बुढ़िया के मस्तिष्क में संचित होंगी । मैंने दान्को के उस विशाल जलते हुए हृदय के विषय में सोचा और उस कल्पना शील मानव मस्तिष्क के विषय में भी सोचा जो इतनी सुन्दर और रोमांचक कहानियों की कल्पना करता है । इजरगिल अव गहरी नींद में सो रही थी । हवा ने उसके कम्बन को एक तरफ हटा दिया था और उसकी खुनी सूखी छाती दिखाई दे रही थी । मैंने उसके वृद्ध शरीर को भली भाँति ढक दिया और स्वयं भी उसके पास जमीन पर लेट गया । मैदान में सघन अन्धकार और गान्ति का साम्राज्य दाया दुधा था । बादल अय भी धोरे २ और उद्विग्नता पूर्वक श्राकाश में चले जा रहे थे । समुद्र का गम्भीर और शोकपूर्ण स्वर सुनाई दे रहा था ।