पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/१९१

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आवारा प्रेमी सुवह ६ वजे के लगभग मुझे ऐसा लगा कि कोई भारी सा प्राणी मेरे विस्तर में घुस आया है और किसी ने मुझे झकझोर कर सीधा मेरे कान पर चीख कर कहा : " उठो " यह मेरे साथी शाश्का की पावाज थी जो कम्पोजीटर था । वह एक मजेदार आदमी था - उन्नीस वर्ष के लगभग अवस्था , सिर पर विखरे हुए लाल वाल , चीते की सी चमकदार हरी आँखें और गंगे की धूल से गन्दा हुधा चेहरा । " चलो, उठो । " मुझे बिस्तर से बाहर खींचता हुथा वह चीखा । " चलो श्राज मौज करने चलें । मेरे पास कुछ पैसे हैं - छ रूबल और वीस कोपेक । और आज स्टेपस्खा का जन्म दिन है । तुम अपना साबुन किस जगह रखते हो ? " . वह कौने में रखे हुए मुंह धोने के तसले के पास गया और बुरी तरह से पापने चेहरे को रगड़ने लगा । वीच - बीच में शोर मचाते और खांसते एप उसने मुझसे पूछा - " वताओ- स्टार (तारा ) क्या इसे जर्मन भाषा में एस्ट्रा कहते हैं ? " " नहीं मेरा अनुमान है यह ग्रीक उच्चारण है । " "ग्रीक हमारे यहां एक नई प्रफ पढ़ने वाली आई है जी कविता करती है और सपने हस्ताक्षरों के म्यान पर एम्दा लिखती है । इसका असली नान नुनिकोवा , अन्दोनिया वेस्सोलिना है । वह एक छोटी सी