पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२०२

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आवारा प्रेमी २०१ "मेहमानो तुम्हारा क्या रवागत करूँ ! " उसने सुरीली आवाज में जोर से कहा । शाश्का ने उसके चौड़े और भारी कन्धों पर हाथ रख और अपना मुंह उसके नजदीक ले जाते हुए कहा - " भगवान यह शुभ दिन तुम्हें पार २ दिखायें स्टेपि स्टेपनिदा याकी मोना और पवित्र रहस्यों को समझाने के लिये तुम्हे बधाई । " " परन्तु मैं तो उस पवित्र भोज में नहीं गई थीं । " स्टेपखा ने विरोध किया । "सब एक ही बात है । " शाश्का ने उसके होठों को तीन बार चूमते हुए कहा । उसके बाद दोनों ने चुम्बनो के चिन्हों को मिटा डाला, स्टेपखा ने अपनी हथेली से और शाश्का ने अपनी टोपी से । ___ बगल के अन्धेरे कमरे में , जो भाग जलाने के सीकचों, टोकरियों भौर कपदे धोने के बढ़े २ टबो से भरा हुआ था , उन्हें स्टेपता की लड़की 1 पाशा दिखाई पड़ी जो अपने खेल में व्यस्त थी । पाशा की बड़ी २ याहर उभरी हुई आँखें जो बेवकूफों की तरह ताज्जुब से दूसरों की ओर ताका फरती थी , वधों के एक प्रकार के रोग के कारण , जिप्समें हट्टियाँ मुलायम हो जानी है, ऐसी हो गई थी । उसके मुलायम सुनहले बाल बहुत अधिक घने थे । " भगवान तुम्हें यह शुभ दिन पार पार दिखाए , पान्या । " "ठोक है लड़की ने उत्तर दिया । " येवकूफ गुड़िया " स्टेपला ने कहा, "तुम्हें कहना चाहिये धन्यवाद । " " योह, ठीक है । " लएको ने गुस्से से चिड़चिड़ा कर जवाब दिया । धोबिन के घर का एक तिहाई भाग एक बड़ी भट्टी ने घेर रखा था । और पहिले जहों नहाने वालों का सामान रखने के खाने बने हुए थे अब उस स्थान पर एक चौको खाट यो । कोने में मूर्तियों के नीचे एक मेज रसो हुई यो - चाय पीने के लिए । भौर दीपान के सहारे एक वच सड़ी थी जिस पर हाथ मुंह मोने का तमला श्रासानी से रखा जा सकता था ।