भावारा प्रेमी २०६ मशवरा कुत्ता , अपने टूटे हुए नाखूनों वाले भारी पंजों को खिड़की को खट पर रखे खुली खिड़की से भिखारी की तरह झांक रहा था । खिड़की की चौखट के पास गुलदस्ते रखे हुए थे जिनमें विभिन्न रंगों के फूल सज रहे थे । " यह जानती है कि कैसे रहा जाता है, " शाश्का ने उस गन्दे कमरे में चारों ओर देख कर कहा और मेरी ओर आँख मिचकाई जैसे कह रहा हो कि मैं तो मजाक कर रहा हूँ । मेजवान ने तन्दूर में से बहुत होश्यारी से एक समोसा निकाला और अपनी अंगुलियों से उसका खाल छिलका हटा दिया । पाशा अपना खिलौना लिए हुए भीतर आई और शाश्का की ओर गुस्से से देखा । परन्तु शारका ने अपने होंठ चाटते हुये कहा " मुझे शादी जल्दी कर लेनी चाहिये ? मुझे समोसे बहुत अच्छे लगते हैं । " " लेकिन केवल समोसे खाने के लिये तो कोई शादी नहीं करता, " स्टेपखा ने गम्भीरता से कहा । " प्रोह, वह मैं समझता हूँ । " वह मोटी ताजी स्त्री यह सुनकर खिलखिलाकर हंस पड़ी परन्तु उसके नेत्रों में एक प्रकार को गम्भीरता थी जब उसने आगे कहा " एक दिन तुम शादी करोगे और मुझे भूल जाओगे । " " लेकिन तुम कितनों को भूल चुकी हो " शारका ने मूर्खतापूर्ण उत्तर देते हुए कहा स्तेपखा भी मुस्कराई । अपनी पोशाक से , जो उसकी अवस्था को देखते हुए बहुत भड़कीली थी , यह एक घोविन सी न मालूम देकर एका शादी पक्की कराने वाली दलाल या भविष्य बताने वाली ज्योतिपिन सी लगती थी । उसकी लड़की की , जो किसी दुपान्त परियों की कहानी में वर्णित एक घुप रहने पाली परी सी लग रही थी, उपस्थिति यहाँ घूमरों को सल
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