२०८ भावाराप्रेमी आम्मा पूर्ण सन्तुष्ट और शान्त रहे परन्तु ऐसा नहीं हो पाता । तुम मेरी हालत को समझ रहे हो मेक्सीमित्र ? जब मुझे बुरा लगता है अब मैं चाहता हूं कि मुझे अच्छा लगे और जब मेरे जीवन में कभी खुशी का मौका पासा है तब मैं परेशान हो उठता हूँ । ऐसा क्यों होता है ? " वह अब भी परेशानी अनुभव कर रहा था - यह मुझे स्पष्ट दिखाई दे रहा था । उसकी आँखें बेचैनी से कमरे में इधर उधर दौड़ रही थी मानो उसमें फैली हुई गन्दगी का निरीक्षण कर रही हो उनमें एक कठोर असन्तोष को भाग चमक उठी । यह स्पष्ट या , कि यह यहाँ अपने को उपेक्षित सा समझ रहा था और इसका ज्ञान उसे अभी हुआ था । वह संसार में होने वाली घुराइयों के विषय में और उन मनुष्यों की मूर्खता और अन्धेपन के विषय में नो इन बुराइयों को करने के प्रादी हो गए और उन्हें देख नहीं पाते उत्साह पूर्वक वातें करने लगा । भयभीत चुहिया की भाँति उसके विचार इधर से उधर दौड़ रहे थे और उनमें बड़ी जल्दी जल्दी होने वाले परिवर्तन के कारण उन्हें समझना बड़ा कठिन हो रहा था । ___ “ यहाँ सब कुछ गलत हो रहा है मैने तो ससार मैं यही पाया है । एक स्थान पर यहाँ तुम्हारा गिर्जा वना हुया है और उसी के बगल में . " शैतान जानता है क्या होता रहता है । इलोकेन्ती वेस्सीलीविच जेमस्कोव ने अपनी एक कविता में लिखा है -- " प्रकाश के उन क्षणों को बहुत बहुत धन्यवाद है जो मेरे दृश्य के अवसाद को पणभर के लिए दूर कर देते हैं । उन क्षणों में तुम्हारे स्वर्गीय शरीर के साय साहात सम्बन्ध की मधुर स्मृतियाँ भरी होती हैं । " परन्तु वह कानूनी दाव पेचा से अपनी सगी बहन का मकान हथियाने में नहीं हिचका या शौर उस दिन उसने अपनी घरेलू नौकरानी नासया है बाल पकड़ कर सींचे ये । । ___ " ठमने ऐसा क्यों किया ? " स्टेपखा ने, अपने खुरदरे हाथों को देखते हुए, जो घत्तर के परों को तरह लाल ये , पूला । अचानक उसका चेहरा कठोर हो उठा और उसने अपने नेत्र नीचे मुका लिए ।
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