पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२०८

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भावारा प्रेमी २४ को श्रोर देखा और फिर मैदान में भागती हुई छायानों को देखता हुआ उद्दल कर खड़ा हो गया और योला ___ "वे मिठाई बनाने वाली लड़कियाँ अब बाहर पाती ही होंगी । चलो वह सड़क पर तेजी से चलने लगा । उसके नेत्रों में चिन्ता झलक रही थी , हाय पतलून की जेबों में थे और टोपी माये पर प्रागे की ओर खिसक भाई थो , लड़कियाँ एक वारक जैसी इकमंजली इमारत से एक दूसरे के पीछे, रूमाल बांधे और अपनी पोशाकों पर भूरे काम करने के कपड़े पहने , भागती हुई प्राई । उनमें से एक जीना थी - सांवले रङ्ग को सुन्दरी, ( निसके चेहरे पर मंगोलों को सो झलक थी ) बड़ी २ भुरी प्रॉखें और छाती पर सूब कसा हुआ लाल ब्लाउज पहने हुए । " चलो, काफी पीने चलो । " शारका ने उसका हाथ पकड़ कर कहा । फिर वह जल्दी २ कहने लगा - " क्या तुम मुझे यह बताना चाहती हो कि तुम उम रूखे चिदविहे नीच प्रादमी से शादी करना चाहती हो ? क्यों , यह नुमसे जलता है ... " " ___ " हरेक पति को जलना ही चाहिए " जीना ने गम्भीरता पूर्वक कहा " या तुम यह चाहते हो कि मैं तुमसे शादी कर " " नहीं, मुझसे भी मत करो । " " छोटो इन बातों को " लड़की ने घूरते हुए कहा - "नुम काम पर भ्यों नहीं गए ? " " पाज मैने दुटी लेली है । " " ह, तुमने ! मुझे काफी नहीं पीनी । " " क्या मतलब है तुम्हारा ? " उसे एक मिठाई को दूझान को और गीते पारका ने कहा । जर ये दोनों गिरको के पास एक छोटो मेज पर बैठ गए तो गायरा ने इसने पूछा : "नुन मेरा विश्वास करती हो ? "