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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२१५

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२१८ श्रावारा प्रेमी - - मैं हँसा । उसने चकित होकर मेरी ओर देखा और पूछा " क्या बात है ? क्या मैं बेवकूफी की बातें कर रहा हूँ । उँह , भाई मेक्सीमिच । मेरा हृदय उफन रहा है उफनता चला जा रहा है जिसका कोई अन्त नहीं । मैं अनुभव करता हूँ जैसे मुझ में हृदय के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है केवल हृदय विस्तृत । " हम नगर के सिरे पर पहुँच गये थे परन्तु इस वार दूसरे सिरे पर । हमारे सामने एक विस्तृत मैदान फैला हुआ था और दूर यग लेडोज इन्स्टीटयूट का विशाल श्वेत भवन दिखाई दे रहा था जो वृक्षों से घिरा हुश्रा , ईटों की एक दीवाल के पीछे था और जिसकी ईटों की सड़क प्रोसरे तक चली गई थी । " मैं उसके लिए किताबें पढूंगा । इससे मैं मर तो जाऊँगा नहीं , " __ शाश्का ने सोचते हुए गम्भीरता पूर्वक कहा - " भविष्य भयकर उलमन है । मैं तुम्हें क्या बताऊँ भाई ? मैं जाकर स्टेपखा से मिलूंगा मैं उसकी गोद में सिर रखकर सो जाऊँगा । फिर मैं जानूंगा, हम दोनों शराब पीयेंगे और मैं फिर सो जाऊँगा । मैं रात भर उसके साथ रहूँगा । श्राज हमारा दिन बुरा नहीं वीता है - हम दोनों का ? " _____ उसने कस कर मेरा हाय दवाया और कोमलता पूर्वक मेरी ओर देसने लगा । " मुझे तुम्हारे साथ घूमना अच्छा लगता है , " उसने कहा, "तुम मेरे साय हो और फिर भी ऐसा लगता है कि तुम वहाँ नहीं हो । तम मेरी आजादी में जरा भी रकावट नहीं टालते । इसी को मैं अच्छा और सच्चा मायी होना मानता हूँ । "