पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सेमेगा कैसे पकड़ा गया ऐसी लग रही थी मानो एक रस्सी का चन्डल खुलता हुश्रा भीतर पला पाया हो । " होश्यार , पुलिस पा रही है ! " वह चीज यरचे को सी धवदाई श्रावाज में चीखी । लोगबाग फौरन चौकन्ने हो गए । आवाजें यन्द हो गई । आपस में सलाह मशविरा शुरु हो गया और उनमें से कुछ लोगो ने भारी और बेचैनी सी भरी हुई पापाज में कुछ सवाल पूछे । " तुम सब कह रहे हो ? " "मुझे गोली मार देना ! वे दोनों तरफ से पा रहे हैं । घुड़मवार और पैदल दोनो । दो अफसर और पल्टन की पल्टन सिपाहियों की " " तुमने कुछ सुना वे किसकी तलाश में हैं ? " "मेरा ख्याज है सेमेगा की । उन्होंने निकीफोरिच से उसके बारे में पूछा या , " वह यच्चों जैसो आवाज चहक ठी और यह गेंद जैसी मूर्ति शरायसाने की तरफ लुढ़कती हुई चली गई । " क्यों , क्या उन्होंने निकीफोरिच को पकड लिया ? " संमेगा ने अपने उलझे हुए वालों पर टोपी लगाते और निश्चिन्ता के माय उठचे हुए पूछा । " हाँ . यह भी पकड़ा गया है । " "स्रोका गली में याची मारिया के यहाँ " . "तुम अभी वहीं से पा रहे हो ? " " हाँ । म यागों की बहार दीवारियों फलोगता हुधा मोधा घला श्रा रहा और गाय बजरे की तरफ चल दिया । मेरा स्याल ई यहाँ भी उन्हें মালুম চা বা ঘাছি । ” पल्ली जायो । " पलक झपर तो यह लएका सराय में बाहर जा पहुँना । जैसेही रसके पीले परमानन्द मा कि सराय का मालिश, धुपला पसबा, ईयर में दरनेयानापेनोविच को कर रहे कोणे याला घरमा और काली टोपी पाने गए या, नीना ।