पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२४६

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मेमेगा कैसे पकड़ा गया २१५ रोता रहा तो उस चोर ने कोमल स्वर में गाया । "मैं किसी सुन्दर रात में श्राकर तुम मिलू गा , और बिछुपते समय तुम न्यग्र हो उठोगी । " और उसके गानों पर होकर पिघलो हुई बरफ को बूदे टप ती रहीं । रह रह कर वह चोर काँप उठता था । उसका गला र ध गया था और दृदय पर एक बोझ सा छा रहा या । और इस तूफान में सुनसान सदव. पर , रोते हुए बच्चे को अपने कोट में छिपाए चलते हुए उसने अपने को जितना एकाकी अनुभव किया उतना पहले कभी भी नहीं किया था । मगर यह फिर भी पहले की ही तरह चलता रहा । अपने पीछे उसे घोड़े के सुमों को हल्की श्रावाज सुनाई दी । घु सवार पुलिस की स्पट श्राकृतियाँ उस अ धकार में से प्रकट हुई थोर तुरन्त सेमेगा के पास आ पहुँचीं । दो भावालों ने एकसाथ पूछा । " कौन जा रहा है ? " " तुम्हारा क्या नाम है ? " " यह तुम क्या ले ना रहे हो ? दिवानो ? " एक पुलिस वाले ने अपने घोदे को उसके बरावर लाते हुए हुक्म दिया । " यह ? एक बच्चा है । " " तुम्हारा नाम ? " " ममेगा - सयार वाला । " " श्रोहो । यही जिसकी हम तनास वर रहे है ! चलो, मेरे घोर से. सामने घामो ! " " यह अच्छा होगा कि मैं और बच्चा दोनों मकानों की पाया में चले । वहाँ हवा इनको तेज नहीं है । मदक के बीचोबीच चलना ननारे लग ठोक नहीं होगा - ह सकी भी तार में जमे जाक: है । " पुलिस पालों को समझ में उसकी बात न पाई गगर उनाने में मकाना को नापा में पक्षने की इजाजत दे दी और नद हमरे कि में