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पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/२४७

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२४६ सेमेगा कैसे पकड़ा गया - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - अधिक नजदीक चलते रहे और क्षणमर को भी उस पर से अपनी निगाहें नहीं हटाई । इस तरह घिरा हुश्रा सेमेगा पुलिस थाने पहुंचा । "तो तुमने उसे गिरफ्तार कर लिया, क्यों कर लिया न ? अच्छों किया । " जैसे ही वे लोग दफ्तर में घुसे पुलिस के प्रधान अफसर ने कहा । ___ " वच्चे का क्या होगा ? मैं इसका क्या करूँ " सेमेगा ने सिर हिलाते हुए पूछा । "यह क्या है ? कैसा बच्चा ? " " यह । मुझे सड़क पर मिला था । यह रहा । " और सेमेगा ने वच्चे को कोट के बाहर निकाला । बच्चानिर्जीव उसके हायों में लटकता रह गया । " मगर यह तो मरा हुया है ! " पुलिस के प्रधान ने कहा । " मरा हुधा ? " सेमेगा ने दुहराया । उसने उस नन्ही सी पोटली को घूर कर देखा और मेन पर रख दिया । " खूब , " उसके मुंह से निकल पड़ा और फिर गहरी सांस लेकर योला " मुझे इसे फौरन ही ठठा लेना चाहिए था । काश कि मैं ऐसा करता, मगर मैंने नहीं किया मैंने | इसे उठाया और फिर वहीं रख दिया । " यह तुम क्या घड़वड़ा रहे हो ? " प्रधान ने पूछा । सेमेगा ने चारों तरफ सूनी निगाहों से देखा । बच्चे की मृत्यु के साथ ही उसको वे भावनाए भी मर गई जिन्हें उसने सड़क पर चलते हुए अनुभव किया था । यहाँ वह कठोर हृदय अफसरों से घिरा हुआ था । उसे अपने सामने जेल और मुकदमे के अलाया और कुछ भी नहीं दिसाई दे रहा था । उसके हृदय में एक चोट सी लगी । उसने बच्चे की तरफ क्रोष के साथ देखा और गहरी सांस लेकर कहा । " तुम भी ग्व रहे । मन तरी वजह से अपने को पय टा दिया और