सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

मालवा "छोड़ो ! तुम्हें इसके लिए पदवाना पड़ेगा!" "मुझे डराने की कोशिश मत करो!"" श्रोह"तुम कितनी प्यारी हो!" उसने उसे अय और भी कस कर पकहते हुए उसके गुलावी गानों पर अपने मोटे होंठ जमा दिए । मालमा शैतानी से हँसी, याकोव के हाथों को मजबूती से पकड़ा और अपने पूरे शरीर को थागे की तरफ फेंका । ये दोनों, एक दूसरे को मजबूत पकर में बंधे हुए ऊपर उछले, एक गहरे धमाके के साथ पानी में गिरे और तुरन्त ही झाग और छीटों के भंवर में आँखों से श्रोझल हो गए । कुछ देर वाद लहरों के ऊपर याकोव का सिर वाहर निकला । उसके वालों में से पानी टपक रहा था और चेहरा भयभीत हो उठा था। शोर सय मालवा भी उसके पास ही उपर निकली। अपने हार्यों को पुरी तरह फेंकते और पानी को अपने चारों शोर उछालते हुए याकोव चीखने चिल्लाने लगा और मालवा सिलसिलाकर हँसती हुई उसके चारों श्रोर तैरने लगी। यह उसके मुंह पर पारी पानी के दीटे उछालतो और उसकी लम्बी पकद से यचने के लिए गोता मार कर हट जाती। "प्रोह, शैतान औरत ?" 'अपनी नाक और मुंह से पानी उगलते हुए पाकीय गरजा । "म दूब जाऊँगा? ""पहुत हो चुका'............ भगवान की कसम"' • मैं दूर जाऊँगा। माह ?... • पानी सारी.. मै ह-य-र-हा-?" परन्तु मालवा टये छोड़ कर किनारे की ओर तैर रही थीश्रादमी की तरह हाथ चलाती हुई किनारे पर पहुंच फर यदी फुर्वी से यजरे पर पड़ गई । उसके पिछले हिस्से पर गये होकर याकोय को दयकियां साये शोर मापते देख कर जोर से हस पड़ी। गीळ फपदे उसके शरीर में चिपक गए थे जिनमें होकर उनके पन्नों मे लेकर घुटनों सक फा उभार स्पष्ट दिखाई देता था। गाकोर किसी प्रकार नाव राफ पहुँच गया और टपक सिनारे से चिपटा गुमा इस नग्नप्रायः धौरत को भूरी भागों में दरने लगा जो पड़ी हुई टस पर गर्व से कम रही थी। रीर में ।। गाकोर किसी प्रकार लेकर घुटनों स