पृष्ठ:गोर्की की श्रेष्ठ रचनाएँ.djvu/८०

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मालवा 59 मार डालू गा। तुम्हारी खोपड़ी पर एक चोट काफी है थोर तुम उसके याद सीधा नर्क का रास्ता नापोगे ! मेरे लिए यह बहुत आसान है।" ___ उसका चेहरा, उसका पूरा शरीर और याकोव के गले की तरफ यदे हुए गठीले हाय, ये सब पूरी तरह इस बात का विश्वास दिला रहे थे कि यह उसके लिए बहुत आसान है। याकोव एक कदम पीछे हट गया और धी हुई थानाज में योला : "एक मिनट ठहरो ! क्यों, मालवा ने खुद ही......" "श्रव देखो, बहुत हो चुका ! तुम अपने को क्या समझते हो ? भेड़ का गोश्त तुम्हारे पाने के लिए नहीं है, कुत्ते । तुम्हें अपनी तकदीर सराहनी चाहिए अगर तुम्हें चिचोदने के लिए हट्टी का एक टुकड़ा मिन जाय... थच्छा 'तुम इस तरह धुर किसे रहे हो ?" याकोव ने मालवा की तरफ देसा । उसकी हरी मासें उसके चेहरे पर स रही धी-~-एक चोट करने याली, मजाक उड़ाती हुई हमी और यह • सर्योझता की अगल में इतने प्यार से चिपट गई कि याकोव का सारा शरीर पसीने से भीग उठा । वे साथ साथ चलते हुए उससे दूर हट गए और जय ये योदी दूर परचे तो दोनों जोर से पिलखिलाकर हंस उठे। याकोर ने अपना दाहिना पैर यालू पर जोर से गढ़ा दिया और गहरी सांसें लेता हुधा पत्थर की तरह सदा रहा। दूर, पीली, निर्जन बहराती एई पालू पर एक छोटी सी मनुन्य की फाली भूति हिल रही थी। उसकी दाहिनी तरफ प्रसस शक्तिशाली ममुद चमक रहा था। धीर पार्टी सरफ सिसिन सक यालू फैजी हुई यी-एक निजग उदास रेगिम्मान ! याकोय ने टम एकाकी मूर्ति को देखा और भोयें झपकाई जिनमें दुर शोर घराहट भरी हुई थी। उसने दोनों हार्यों से युरो उरए अपनी हाती ममली। मएली परूदने वाली जगह कान की इनपल से गुजरती थी।