पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१०९

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नवा अध्याय 88 आदि का यरवदा-जेल में परामर्श होता रहा। अंत में एक मंतव्य लिखकर वाइसराय को भेज दिया गया तथा श्रीसप्र-जयकर भी स्वयं उनसे मिलने शिमले चल दिए। वह मंतव्य इस प्रकार था- प्रिय मित्रो कांग्रेस और ब्रिटिश-गवर्नमेंट के बीच शांति-पूर्ण समझौता कराने के लिये आपने जो प्रयत्न किया है, उसके लिये हम आपके चिर-कृतज्ञ हैं। इसके संबंध में आपके और वाइसराय के बीच जो प्रारंभ में पत्र-व्यवहार हुआ और उसके बाद आपके साथ हम लोगों की जो बातचीत हुई, उसको जानकर हम लोग यह समझते हैं कि अभी समझौता होने का समय नहीं आया। देश के सार्वजनिक जीवन में गत पांच मास के भीतर जो जागृति उत्पन्न हुई और देश को जिन-जिन विपत्तियों तथा हानियों का सामना करना पड़ा है, वे विपत्तियाँ और हानियाँ न तो दब सकती हैं, और न उनका इस प्रकार अंत ही हो सकता है ! आपका और वाइसराय का यह सोचना कितना व्यर्थ और सारहीन है कि सत्याग्रह आंदोलन देश के लिये हानिकारक है अथवा वह असमय और अनियमित संचालित हुआ है, यह बताने और कहने की आवश्यकता नहीं । अँगरेजी इति. हास रक्त-पात और क्रांति का समर्थन करते हैं, उनमें रक्त- पात करनेवाले साधनों का ही उपयोग किया गया है, और