१०२ गोल-सभा साथ कांग्रेस की कार्यकारिणी कमेटी और आवश्यकता पड़ने पर आलइंडिया-कांग्रेस का निर्णय न रक्खें। किंतु आवश्यकता होने पर, विना काग्रेस और उसकी कार्यकारिणी कमेटी का परामर्श लिए, हम कह सकते हैं- (१) कोई भी निर्णय हमें स्वीकृत नहीं हो सकता, जब तक कि (अ) उसमें स्पष्ट रूप से यह न कहा जाय कि भारतवर्ष अपनी इच्छा और आवश्यकता पर साम्राज्य से पृथक् हो जाने का अधिकार रखता है। (ब) भारतवर्ष को उत्तरदायित्व पूर्ण शासन, जिसमें महात्माजी की लिखी हुई ११ शर्तों का सम्मिश्रण होगा, और पुलिस, पल्टन और देश की आर्थिक आय उसके अधिकार में होगी, न दिया जायगा। (स) भारतवर्ष को, यदि आवश्यकता होगी,तो इस बात का पूरा अधिकार न होगा, जिससे वह ब्रिटिश- प्रजा के पूर्ण अधिकारों को प्राप्त करने के लिये एक निर्वाचित कमेटी के द्वारा निर्णय कराने की व्यवस्था कर सके, जिसमें भारतीय सार्वजनिक ऋण के अन्याय-पूर्ण होने की बात भी सम्मिलित होगी। नोट-इस प्रकार शासनाधिकार की सभी बातें भारत की आवश्यकता के अनुसार होंगी, जिनका निश्चय निर्वाचित प्रति- निधियों के द्वारा होगा। (२) यदि इन शर्तों का ब्रिटिश सरकार ने उत्तर दिया, और संतोष के साथ वह स्वीकृत हो सका, तो हम आलइंडिया-कांग्रेस की कार्यकारिणी कमेटी से सिफारिश कर सकेंगे कि वह
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