नवाँ अध्याय ११५ उसे हमने ध्यान-पूर्वक पढ़ा, और आपकी लिखी हुई उन बातों को भी पढ़ा, जिनके आधार पर वाइसराय समझौता करना चाहते हैं। उस पत्र को भी हमने देखा, जो पंडित मोतीलाल नेहरू, पंडित जवाहरलाल नेहरू और डॉ. महमूद ने हस्ताक्षर करके आपकी मारफत भेजा है। इस पत्र में हस्ताक्षर करनेवालों ने समझौते के संबंध में अपने विचार प्रकट किए हैं। मैंने सभी पत्रों और तत्संबंधी काग़जों को बड़ी सतर्कता के साथ पढ़ा है, और अत्यंत स्वतंत्र भाव से आपके साथ बातें की हैं। समझौते की परिस्थिति पर विचार करते हुए दो रातें हमने बड़ी चिंता के साथ बिताई हैं, और सबके अंत में इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि सरकार और कांग्रेस के बीच समझौता हो सकने का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता। समझौते के संबंध में नैनी-जेल से नेताओं ने इस बार आपकी 'मारफत जो पत्र भेजा है, उसमें उन्होंने अपने जो विचार व्यक्त किए हैं, उनसे हम सहमत हैं । किंतु उनकी यह इच्छा है कि समझौते के संबंध में, जिसको देश-भक्ति के भावों से प्रेरित होकर आपने त्याग और परिश्रम के साथ पूरा करने के लिये कठिन परिश्रम किया है, हमारे ही द्वारा अंतिम निर्णय हो। इस- लिये उसका जवाब देते हुए अत्यंत संक्षेप के साथ हम उन कठिनाइयों का यहाँ पर उल्लेख करेंगे, जो समझौते के मार्ग में खड़ी हो रही हैं। वाइसराय ने १६ जुलाई को आपको जो पत्र लिखा है, और
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