गोल-सभा नहीं देना चाहते, तो उसके बदले में मुझे मेरी क़ब की जमीन दीजिए । मैं परतंत्र भारत में मरना भी अच्छा नहीं समझता। आज हम सब लोग यहाँ क्यों एकत्र हुए हैं ? हम शांति, मित्रता और स्वतंत्रता के लिये यहाँ आए हैं, और वही जीवन-धन लेकर वापस जाना चाहते हैं। "यदि स्वाधीनता न मिली, तो समझ लेना होगा कि जो युद्ध आज दस वर्ष से जारी है, उसी में जाकर हम लोग भी सम्मि-- लित हो जायेंगे। इस समय वे चाहे हमें देश-द्रोही अथवा धोके- बाज ही क्यों न कहें, ब्रिटिश हमें अपना बग़ावती क्यों न समझ, किंतु यदि हमारे अंतिम उद्देश्य की पूर्ति न हुई, तो हम लोग भारत जाकर, जहाँ दस वर्ष पहले थे, वहीं फिर खड़े हो जायेंगे। साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर हमें विचार नहीं करना। यह रिपोर्ट तो अत्यंत असंतोष-जनक है। अब तो हमें अपना 'ऐतिहासिक काग़ज' तैयार करना होगा। दो देशों के विशाल हृदय तथा विशाल दिमाग़वाले एकत्र हैं । इनमें बहुतेरे प्रधान नेता, जिनकी यहाँ परमावश्यकता थी, आज भारत की जेलों में पड़े हैं। मैं तथा जयकर-सत, गांधीजी और वाइसराय महो- दय के बीच, समझौता कराने में सचेष्ट थे; किंतु वह भी अस- फल हुआ। "हम असफल होने से भारत न लौटेंगे। हम पूर्ण स्वाधीनता लेकर भारत जाना चाहते हैं। लॉर्ड पील ने कहा है-जब आप भारत में स्वाधीनता लेकर जायँगे, तब लोग आपसे स्वाधीनता
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