पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१४३

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दसवां अध्याय छीन लेंगे। कितु जब मैं अँगरेजों से लड़ने की शक्ति रखता हूँ, तब मैं अपने भाइयों से भी लड़ लूंगा; किंतु मुझे लड़ने की सामग्रो तो दा । मुझे दासता देकर न लौटा देना । यदि हमें स्वाधीनता प्राप्त हो गई, तो वहाँ जाकर हम लड़-भिड़ कर तय कर लेंगे। हमें स्वतंत्रता चाहिए। परतंत्र भारत से लड़ने में मेरी असफलता होगी। किंतु स्वतंत्र भारत से लड़ने में मुझे सफलता ही नहीं, संतोष हागा । श्रीयुत जयकर युवक भारत के संबंध में बोलने का दावा करते हैं। किंतु उन्हें अच्छी तरह ज्ञात है कि मैं आयु में उनसे ज्येष्ठ हूँ; कितु मेरा हृदय युक्क है, मेरी आत्मा युवक है, और भारत की स्वाधीनता के युद्ध-क्षत्र युवक हूँ। यह स्मरण रखना चाहिए कि जिस समय मैं असहयाग कर रहा था, मि० जयकर वकालत कर रहे थे। मुझे तथा मेरे बड़े भाई का लॉर्ड रीडिंग ने जेल जा था । मैंने देश के लिये जल भी काटी, कितु मि० जयकर ने जेल-यात्रा नहीं की है। इसके लिये मझे मि० जयकर से कोई द्वं ष नहीं । एक वह समय था कि लॉर्ड रीडिंग ने मुझे जेल भेजा था । मैं ऐसा ही स्वराज्य चाहता हूं कि यदि भारत में लॉर्ड रीडिग बड़े लाट होकर जायँ, तो मैं स्वाधीन भारत में उनके अपराध करने पर उन्हें जेल भेज सकूँ । मैं यहाँ औपनिवेशिक स्वराज्य की भीख माँगने नहीं आया। मैं औपनिवेशिक स्वराज्य-प्राप्ति के उद्देश्य पर विश्वास भी नहीं करता । यदि मैं कोई चीज माँगता हूँ, तो वह पूर्ण स्वाधीनता है । गत सन् १९२७ की मद्रास की कांग्रेस-