पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/१७३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

अँगरेजों का तेरहवां अध्याय डॉक्टर मुजे ने कहा-"अँगरेजों ने भारत की जो सेवाएँ की हैं, वे ऐसी ही हैं, जैसी सेवाएँ कोई किसान दूध देनेवाली गाय की किया करता है। बंबई के एक गवर्नर सर डबल्यू० मेकिचोक को सहायता देकर भारत के जहाजी कारबार का अस्तित्व मिटा दिया गया।" प्रसिद्ध ऐतिहासिक विद्वान् विल्सन का हवाला देते हुए उन्होंने बतलाया कि "पैसिली और मैंचेस्टर के लाभ के लिये भारत का वस्त्र व्यवसाय नष्ट कर दिया गया। लॉर्ड पील एकाधिपत्य की बात नहीं स्वीकार करते । मैं उनसे पूछता हूँ, क्या सेना, सिविल सर्विस या मेडिकल सर्विस पर आधिपत्य नहीं ? वाइसराय लॉर्ड इरविन ने औपनिवेशिक स्वराज्य देने का वादा कभी नहीं किया, इसे मैं मानता हूँ, पर साथ ही मैं यह भी मानता हूँ कि ब्रिटेन यह कहने के लिये तैयार होगा कि अगर तुम 'भारतीय प्रतिनिधि' अपनी योग्यता दिखा दो, तो हम तुम्हें औपनिवेशिक स्वराज्य दे देंगे। जोर देकर कहता हूँ कि हिंदू-प्रतिनिधि इसके पूर्ण योग्य हैं।" बीच में ही एक प्रतिनिधि की आवाज आई, आप 'हिंदू- प्रतिनिधि' नहीं, बल्कि 'भारतीय प्रतिनिधि' कहिए। डॉक्टर मुंजे ने तुरंत ही जवाब दिया 'हिंदू'-शब्द से सारे भारत का मतलब है । सारे भारत में वर्तमान शासन-प्रणाली से असंतुष्ट होने के कारण आंदोलन चल रहा है, और जनता हँसते-हँसो कष्ट सहन कर रही है। मैं स्वयं भी दो-दो बार जेल हो पाया