पाँचवाँ अध्याय स्ट्रेशन ऑफिस बन गया है। ऐसे समय में, जब कि मेरे देश- भाई जीवन-मरण की समस्या सुलझाने में लगे हैं, जब कि संसार के सबसे बड़े व्यक्ति ने सत्याग्रह-संग्राम का डंका बजा दिया है, जव कि सैकड़ों नवयुवक अपनी जान हथेली पर रखकर स्वतंत्रता संग्राम जीतने के लिये निकल पड़े हैं, और हजारों देश-भक्त सरकार की जेलों के मेहमान बन चुके हैं, मेरे सभापति-पद पर आरूढ़ रहने के स्थान पर देशवासियों के साथ कंधे से कंधा भिड़ाना अधिक उचित है । सरकार ने भारत की मांगों का औचित्य स्वीकार करने के स्थान में दमन पर कमर कसी है। इन परिस्थितियों में मैं समझता हूँ कि पूर्ण स्वाधीनता के संग्राम में शामिल हो जाना मेरे लिये अनिवार्य है। यदि अपने गिरे स्वास्थ्य के कारण मैं अधिक कार्य न भी कर सका, तो मेरा त्याग-पत्र सत्याग्रह-संग्राम को कुछ-न- कुछ प्रोत्साहन अवश्य देगा । यद्यपि मेरा सरकारी रूप में संबंध तो आज से आपके साथ टूटता है, परंतु मैं व्यक्तिगत रूप से अपने हृदय में आपके लिये प्रतिष्ठा के भाव रखता हूँ, और आशा करता हूँ कि कभी गैर-सरकारी तौर पर आपस में मिलने पर हम अपने सरकारी काल की आलोचना जी खोलकर कर सकेंगे। दूसरा पत्र ३० एप्रिल, ३० प्रिय लॉर्ड इर्विन, अपने पद से त्याग-पत्र देने के कारण मैं ३ एप्रिल की मुला-
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