पृष्ठ:गोल-सभा.djvu/९८

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नवाँ अध्याय सप्र-जयकर-समझौता २० जून, १६३० को पंडित मोतीलाल नेहरू ने डेली हेरल्ड' (लंडन) के विशेष पत्र-प्रतिनिधि मि० स्लोकोंब से बंबई में कुछ बातें की, फल-स्वरूप मि० स्लोकोंब ने पंडित मोतीलालजी की शर्तों पर एक मसौदा लिखा । उसका समर्थन बंबई में मि० जयकर और मि० स्लोकोंब की उपस्थिति में पंडित मोतीलालजी ने किया। इन स्वीकृत शर्तो की एक प्रति मि० स्लोकोंब ने मि० जयकर के पास और एक कापी शिमला में डॉक्टर सप्रू के पास भेजकर उनके आधार पर वाइसराय के साथ समझौता कराने के लिये चेष्टा करने का अनुरोध किया। वह मसौदा इस प्रकार था- "यदि कुछ विशेष अवस्थाओं में भारत-सरकार और ब्रिटिश- गवर्नमेंट हमारी उस स्वाधीनता का समर्थन करने में आज अस- मर्थ है, जो गोल सभा में निश्चित होगी अथवा जो ब्रिटिश- पार्लियामेंट को भारत को देनी पड़ेगी, तो भी एक प्रकार से भारत- सरकार की ओर से इस प्रकार का विश्वास मिलने की आव- श्यकता है, जो भारतवर्ष के उस उत्तरदायित्व पूर्ण शासन का सम- र्थन करे, जो उसकी विशेष आवश्यकताओं और अवस्थाओं की माँग हो और जिसको उसने ग्रेट ब्रिटेन के लंबे-चौड़े सह-