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गो-दान
२१९
 

'रुपए कहीं बाहर थोड़े ही हैं बेटा,घर में ही तो हैं। बिरादरी का ढकोसला है,नहीं तुममें और हममें कौन भेद है? सच पूछो तो मुझे खुश होना चाहिए था कि झुनिया भले घर में है,आराम से है। और मैं उसके खून का प्यासा बन गया था।'

संध्या समय गोबर यहाँ से चला, तो गोईं उसके साथ थी और दही की दो हाँड़ियाँ लिये जंगी पीछे-पीछे आ रहा था।


देहातों में साल के छःमहीने किसी न किसी उत्सव में ढोल-मजीरा बजता रहता है। होली के एक महीना पहले से एक महीना बाद तक फाग उड़ती है;आषाढ़ लगते ही आल्हा शुरू हो जाता है और सावन-भादों में कजलियाँ होती हैं। कजलियों के बाद रामायण-गान होने लगता है। सेमरी भी अपवाद नहीं है। महाजन की धमकियाँ और कारिन्दे की बोलियाँ इस समारोह में वाधा नहीं डाल सकतीं। घर में अनाज नहीं है,देह पर कपड़े नहीं हैं,गाँठ में पैसे नहीं हैं,कोई परवाह नहीं। जीवन की आनन्दवृत्ति,तो दबाई नहीं जा सकती,हँसे विना तो जिया नहीं जा सकता।

यों होली में गाने-बजाने का मुख्य स्थान नोखेराम की चौपाल थी। वहीं भंग बनती थी,वहीं रंग उड़ता था,वहीं नाच होता था। इस उत्सव में कारिन्दा साहब के दस-पाँच रुपए खर्च हो जाते थे। और किसमें यह सामर्थ्य थी कि अपने द्वार पर जलसा कराता?

लेकिन अबकी गोबर ने गाँव के सारे नवयुवकों को अपने द्वार पर खींच लिया है और नोखेराम की चौपाल खाली पड़ी हुई है। गोबर के द्वार पर भंग घुट रही है,पान के बीड़े लग रहे हैं,रंग घोला जा रहा है,फर्श विछा हुआ है,गाना हो रहा है,और चौपाल में सन्नाटा छाया हुआ है। भंग रखी हुई है,पीसे कौन? ढोल-मजीरा सब मौजूद है;पर गाये कौन? जिसे देखो,गोबर के द्वार की ओर दौड़ा चला जा रहा है। यहाँ भंग में गुलाब-जल और केसर और बादाम की बहार है। हाँ-हाँ,सेर-भर बादाम गोबर खुद लाया। पीते ही चोला तर हो जाता है, आँखें खुल जाती हैं। खमीरा तमाखू लाया है,खास बिसवाँ की! रंग में भी केवड़ा छोड़ा है। रुपए कमाना भी जानता है;और खरच करना भी जानता है। गाड़कर रख लो,तो कौन देखता है? धन की यही शोभा है। और केवल भंग ही नहीं है। जितने गानेवाले हैं,सबका नेवता भी है। और गाँव में न नाचनेवालों की कमी है,न गानेवालों की,न अभिनय करनेवालों की। शोभा ही लँगड़ों की ऐसी नकल करता है कि क्या कोई करेगा और बोली की नक़ल करने में तो उसका सानी नहीं है। जिसकी बोली कहो, उसकी बोलेआदमी की भी,जानवर की भी। गिरधर नकल करने में बेजोड़ है। वकील की नक़ल वह करे,पटवारी की नकल वह करे,थानेदार की,चपरासी की,सेठ की-सभी की नक़ल कर सकता है। हाँ,बेचारे के पास वैसा सामान नहीं है। मगर अबकी गोबर ने उसके लिए सभी सामान मँगा दिया है,और उसकी नकलें देखने जोग होंगी।