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गोदान
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के विकास में बाधक नहीं होता। विवाह तो आत्मा को और जीवन को पिंजरे में बन्द कर देता है।

खन्ना ने इसका समर्थन किया-बंधन और निग्रह पुरानी थ्योरियाँ हैं। नयी थ्योरी है मुक्त भोग।

मालती ने चोटी पकड़ी-तो अब मिसेज़ खन्ना को तलाक़ के लिए तैयार रहना चाहिए।

'तलाक़ का बिल पास तो हो।'

'शायद उसका पहला उपयोग आप ही करेंगे।'

कामिनी ने मालती की ओर विष-भरी आँखों से देखा और मुंह सिकोड़ लिया, मानो कह रही है-खन्ना तुम्हें मुबारक रहें,मुझे परवा नहीं।

मालती ने मेहता की तरफ देख कर कहा-इस विषय में आपके क्या विचार हैं मिस्टर मेहता?

मेहता गम्भीर हो गये। वह किसी प्रश्न पर अपना मत प्रकट करते थे,तो जैसे अपनी सारी आत्मा उसमें डाल देते थे।

विवाह को मैं सामाजिक समझौता समझता हूँ और उसे तोड़ने का अधिकार न पुरुष को है न स्त्री को। समझौता करने के पहले आप स्वाधीन हैं,समझौता हो जाने के बाद आपके हाथ कट जाते हैं।'

'तो आप तलाक़ के विरोधी है,क्यों?'

{{Gap{}'पक्का।'

'और मुक्त भोग वाला सिद्धान्त?'

'वह उनके लिए है,जो विवाह नहीं करना चाहते।'

'अपनी आत्मा का सम्पूर्ण विकास सभी चाहते हैं; फिर विवाह कौन करे और क्यों करे?'

'इसीलिए कि मुक्ति सभी चाहते हैं। पर ऐसे बहुत कम हैं,जो लोभ मे अपना गला छुड़ा सकें।'

'आप श्रेष्ठ किसे समझते हैं,विवाहित जीवन को या अविवाहित जीवन को?'

'ममाज की दृष्टि से विवाहित जीवन को,व्यक्ति की दृष्टि से अविवाहित जीवन को।'

धनुष-यज्ञ का अभिनय निकट था। दस से एक तक धनुष-यज्ञ,एक से तीन तक प्रहसन,यह प्रोग्राम था। भोजन की तैयारी शुरू हो गयी। मेहमानों के लिए बॅगले में रहने का अलग-अलग प्रबन्ध था। खन्ना-परिवार के लिए दो कमरे रखे गये थे। और भी कितने ही मेहमान आ गये थे। सभी अपने-अपने कमरों में गये और कपड़े बदल-बदलकर भोजनालय में जमा हो गये। यहाँ छूत-छात का कोई भेद न था। सभी जातियों और वर्गों के लोग साथ भोजन करने बैठे।केवल सम्पादक ओंकारनाथ सबसे अलग अपने कमरे में फलाहार करने गये।और कामिनी खन्ना को सिर दर्द हो रहा था,उन्होंने भोजन करने से इनकार किया। भोजनालय में मेहमानों की संख्या पच्चीस से कम न थी। शराब