पृष्ठ:चंदायन.djvu/१०९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
९९
 

अगिन बरक भा चाँदा, अरकत छुई न जाइ ॥६ जस उजियारै भुनगा, मरहि राई अदाइ ॥७ टिप्पणी-(१) निउता-न्योता, निमन्त्रित किया। (३) सात-साठ पाठ भी सम्भव है। (४) पुरान–यहाँ तात्पर्य योठिप ग्रन्थोंसे है । इसका प्रयोग जायसीने भी इसी अथमे क्यिा है (०२।२)। रासि-राशि । गुन-गुण । दीठी-देसा । (५) भुनगा-दीपक पर मँडरानेवाला कीट, पतग । (रीलैण्ड्स ६६) सिफ्ते जमाल सूरते चॉदा दरहम शहरहा मुन्तशिर शुद (समस्त नगरोंमें चाँदाके सौन्दर्यकी चर्चा ) बरहें मॉस [*]गटी पाता । धौरसमुंद मावर गुजराता ॥१ तिरहुत अउध बदाऊँ जानी | चहूँ भुवन अस बात बसानी ॥२ गोवरहि आह महर के धिया ( चॉद नाउ धौराहर दिया ।।३ अस तिरिया जो माँगे पाई । अरु तिहि लाइके बियाह जाई ॥४ राजा के नित परउत आहि । फिरि जाहि पैउतर न पावहिं ॥५ महर कहै को मोरै जोगहि, कासों करउँ वियाहु ।६ तकते चितत सबको आहै, जात न देसउँ काहु ॥७ टिप्पणी-(8) बरह-बारहवें । धौरसमुदद्वारसमुद्र, डोरसमुद्र, दक्षिणमे वेलूरसे आठ मील उत्तर पश्चिम स्थित सुप्रसिद्ध नगर, जो १०६२ ई० से होयशळोकी राजधानी थी। मावर दक्षिण पूर्वी तटवर्ता भाग जो प्राचीनकालमे चोटमण्डल और आजकल कारोमण्टल कहलाता है, दूसरे शब्दोंमें मद्राससे लेकर तिन्नेवेली तक विस्तृत प्रदेश । तिरहुत--तीरभुक्ति, बिहारका मैथिल प्रदेश । (२) अउध-अवध । बदायूँ-उत्तर प्रदेशका एक मुख्य नगर जो दिल्ली मुल्तानोंके शासनराल्मे अपना विशेष महत्व रखता था। (३) धिया-धी, पुत्री। (४) तिरिया--स्त्री, नारी।