पृष्ठ:चंदायन.djvu/१३८

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१२८ (रीरेण्ड्स ५२५) सिरत क्दोकामदे चाँदा गोपद (आकार वर्णन) लगु जैस इह अहि युतकारी । चन्दन जैफर मिरै सँवारी ॥१ सरग पवान लाग जनु आयी । चाहत पैसौं जाइ उड़ायी ॥२ याँसपोर हुत जनु घर कॉढ़ी । अछरि जइस देखि मैं ठाढ़ी ॥३ कोइ पुहुप अस अंग गॅधाई । रितु बसन्त चहुँ दिसि फिर आई ॥४ अंग वास नौखण्ड गॅधाने । वास केतकी भंवर लुभाने ॥५ उपेन्दर गोयन्द चॅदरावल, परभॉ विसुन मुरारि ६ गुन गॅघरव रिसि देवता, रूप विमोहे नारि ॥७ टिप्पणी-(१) दुतकारी-मर्विकारे । जैफर -जापपल । मिरै-मिलाकर । (४) कोइ-कुमुदनी। (६) गोयन्द-(पारसी) कहते हैं। (७) यह पद ३४ पडदरमें भी है। ९४ (रीलंण्ट्स ५३५ ; पंजाद [१]) सिफ्ते विसवत चाँदा गोयद (वस्त्र वर्णन) सुनहु चीर कस पहिर कुवाँरी । फॅदिया राध सेंदुरिया सारी ॥१ पहिर मधवना' औं कसियारा । चकवा चीर चौकरिया' सारा ॥२ मुंगिया पटलं अंग चढ़ाई । मडिला छुदरीं भर पहिरायी ॥३ मानों चाँद इसॅमी राती । एक्ड छाप (मोह) गुजराती ॥४ दरिया चॅदरीटा औ पुरसारू । साज पटोरें बहुल सिंगारू ॥५ चोला चीर पहिर जो चाली, जानों जाइ उड़ाइ ।६ देसत रूप रिमोहे देवता, कितहुत अचर[*] आइ ॥७