पृष्ठ:चंदायन.djvu/१६०

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१५० १-पपरहिं बतलावउँ। २-३।३-पायउँ। ४-देते।-देते। ६-मुनहु नुम | ७-पाट धरै। ८-उचायहु । ९-चमकायहु । १०-उधारत सेदसि । ११-दइ मराहर। टिप्पणी-(२) तहिया-उस दिन । जहिया-जिस दिन । (३) ओदन-ढाल (६) खेदहु-खदेडो। (७) भाराय-पेडफे गिरनेकी क्रिया । १२६ (रोलैण्ड्स ) रफ्तने औरफ बर महर व वर्ग दहानीदने महर लोरक रा (लोरस्का महरके पास पाना : महरका लोरक्को पान देना) पहिले जाइ महर (अरगायहु) । तो पाछै तुम्ह अझै जायहु ॥१ लोरक जाइ महर अरगावा । पेग पीस बल आगै आवा ॥२ अपलहि लोरहिं भये परजाई । सगरै होइ मैं देखेउँ आई ॥३ लोरक सूर विहसि तूं मोरा | मार चाँठ मुख देखउँ तोरा ।।४ हाँ तुम्ह ) वीर जो पाऊँ । आधे गोवर राज कराऊँ ।।५ तीन पान कर चीरा, महरै लोरहि दीन्हि हँकार ६ घोर देउँ सो आखर पासर, जो आयड रन मार ॥७ मूलपाट-१-अरगावा। . टिप्पणी-(१) तो उसके। (६) नदम-उसके अनुसार। १२७ (रीलैण्ट्म ०२) रयाँ वर्दने गेरक या याराने म्बुद दर मैदानेजंग (रोरया अपने साथियों के साथ युदके मैदानमें जाना) चला लोर ले आपुन साथी । जहवाँ पसरे मैंमत हाथी ॥१ लोहु नदी अनु दड़ चुड़काई । तासँ तरवा लें अन्हवाई ॥२