पृष्ठ:चंदायन.djvu/२९६

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२८७ पाटान्तरमनेर प्रति- शोक दास्तान सिफ्ते मौलाना दाउद व गुस्वारे ऊ (मौलाना दाऊद और उनकी रचनावी मयसा) १-दाउद कवि जो चाँदा गाएं।२- ३-चोल | ४-आखर । ५-साँप टसी हीरोद बखानी।६-काब । ७-मुनाउँ। ८ मलिक नयन मुनु बोल हमारी। ९-बनई। १०-एक एक बोलि मोठि जस पिरवा, कहउँ जो हीरा तोर। (मनेर 1014) विदआ र्दने लोरक हकीम रा (लोरका चिकित्सकको विदा करना) गारुर समुंद चाँद लै चला । उँहैं बात कहसि अति भला ॥१ पायें दिसि तूं लोर न जायसु । दाहिने बाट बहुत्त फर पायसु ॥२ पिरम भुलान वह बोल न मानी । बाट चलत सहाइ न जानी ॥३ डांडी के लोरक बाँद चलाई । दाहिन दिसि 4 दिस्टि मिलाई ॥४ सूर आपुन दण्ड छाडहि कहाँ । जहाँ परिजेहि ठाड़े तहाँ ॥५ चार अँधवते जाइ तुलाना, लोरक सारंगपूर १५ दिनकर मुंड उचावा, राता जैस सिंदूर ॥७ टिप्पपी-(२) परपल । (४) दाँदी-एक प्रकारको पालकी । (५) परिजोहिमना करें।रादे-खड़ा। (६) वार-दिन । अय-अन्न होते ही । तुलनामा पहुंचा। ३६२-३७० (अनुपहष) अनुमान है कि पजाब प्रतिमें पात निम्नलितिद चार कडवक इस स्थानके ऑगे। किन्तु उनका क्रम और उचित स्थान निश्चित करना मुम्भव नर्स है।