पृष्ठ:चंदायन.djvu/३३२

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

३२३ कउँन" भॉति नहि पैसे, सिन्धो आहि गरास" ॥६ लोर जेवन जेउँ, चॉदा परा उपास" ।।७ पान्तर-बम्बई प्रति- शीर्षक कैफियते मेना गुस्तने लोरक वा चॉदा व गनगीन गुदन चाँदा अज रफ्तने गेरक (लोरक्का चाँदसे मैंनाका हाल कहना, चाँदका लोरको डानेकी बात सुनकर दुखी होना) १-विप्र जो । २–सुनते चाँद राहु बर गहीं। ३-पृर्नो मुग्न निसि दिपत जो अहा | ४--कार। ५--औ सो सुरज जनम | ६-मित्र रासि ले । ७-पिरा। 4-कहेउ । ९-उटी । १०-पाउ पस्त्रारहि । ११-जवहु । १२-विप्र हकारहि । १३- कौनिउँ मॉति न नीसई, सिश गरास । १३-लोरस सोउ सभासै चौदे के उपवास । ४३२ (रीलैण्ड्स ३०८) विदाअ कर्दने लोरक था राव झेतम (राव झेतमका लोरकको विदा करना) कारि रात दुख रोइ बिहानी । मा भिनुसार उठा रिरियानी ॥१ पाटन राउ लोर हॅकरावा । चला चीर राजा पँह आवा ॥र राउ पूछहि घर कूसर आहा । कहु लोरक कस पायहु चाहा ॥३ पनिजेउँ आइ एक बनजारा | माइ भाइ हो घरहिं हंकारा ।।४ कहै आजु मोरै संग आवहु । मकु जियते मुख देर न पाहु ॥५ तिहि दिनहु त अन पानी, घर पाहर न सुहाइ १६ उठे आग सर माथे, दीखें न बुझाइ ॥७ ( लैग्ट्स ३०९) विदाअ कर्दन राव व मदद दहानीदन मर लेरक रा (रायका लोरकको सहायक देकर बिदा करना) राइ घोर सहस दोइ मुलाये । पायक से दो साथ दिवाये ॥१ कापर आन लोर पहिरावा । समुद बीर का साथ दिवाग २