पृष्ठ:चंदायन.djvu/३६६

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३५८ पह सुनकर महरा मनियारने उत्तर दिमाबाद रानीके दूषपर मेरो मन प्लेगी, वय तो वह आपकी बेटी सरीसी होगी । पिर उसने आप कैसे विवाह करेंगे! यह मुनरर मल्यग्ति अनुत्तर हो गया । महागने कहा-आप वेटीको मेरे पास ही पल्ने दीजिए। जर वह बडी हो जायगी तब मैं अपनी हो जातिरेर एलीन, विन्तु निर्बल व्यत्ति से उसका विवाह कर अपनी जांघ पवित्र कर दूंगा। उसकी विदाईका सभर आयेगा उस समय में आपको सूचित कर दूंगा । आर मजरीवे पतिको पराजित कर उसे अपनी रानी बना नबिएगा। इस प्रकार आपकी सात और मेरी मर्यादा दोनोशी ही रक्षा हो जायगी। यह बात मल्पगितको ऊँच गयी। इस प्रकार महराने उस समय तो परिस्थिति सम्हार ली। किन्तु बों-चों मजरी बड़ी होने लगी, उनसरी चिन्ता बढने लगी। दुसाध गतिया राजा हमारी जाति और अल दोनोंमें दाग लगावेगा। वे एस रावने लिए सचेष्ट रहने लगे कि जातिके रिसी ऐसे व्यक्तेि मजरीश तिलक चढापा जप, जो मोर्चा नेमे जुझार हो और राजाका घमाड चूर पर सरे । जर बेटी घर बाहर निररने लगी तर एक दिन उन्होंने नाई और पष्टितसे दुलार यहा-मेरी बेटी योग्य कुंवारा र हूँटिए, मेरे पर योग्य धनी र हँदिए; मेरे योग्य ऐसा समझी दैदिए जो जुझार हो और रानी पद्माः योग्य ऐसी समधिन सोजिये जो पूरी रहती सम्हालनेवाली हो । यदि इन चारों से कोई भी यात स्म हो तो वैसे घर विरक मत चढाइयेगा। पण्डितजी सगुनली सामग्री लेकर नाईके साथ दर हूँदने निकले। उन्हें पर हँदते टूटते बारह वर्ष बीत गये, पर महरा मनानुसार कोई घर-दर नहीं मिला। वे लोट आये। महरा अत्यन्त चितित हुए पदि चोई सोच पर नहीं मिला तो मेरी बेटीकी इजत निधन हो वह दुसाध लगा । न पने विधावाने भाग्यम क्या लिखा है। एक दिन मरी अपनी सपी प्रेमा और मोहिनीरे साथ अन्य मरिपोरे यहाँ बिल्ने गयी। उस समय तेज हवा नद रहो यो । जिसरे कारण मजगैरे सूप पटरनेरी मिटी सखियों उपर गिरने लगी। इससे चे सर बहुत नाराज हुई और उसे तरह तरही गालियों देने लगें। इसमे मारी बहुत दुसी हुई और पर आकर फमरम मतरते दरवाजा चन्दपर चादर तानकर सो रही। शाम हुई और दीपक ताना समय हुआ तो रानी पमा चिन्ता हुई कि अभी वर मारो को नहीं आयी। उस हँटने बद्द सपियों पर पहुंची। सब पर जारर पृ । सने कहा कि यह कार यहाँ आयी तो थी पर ज्द ही चली गयी। सनी लेटकर पर आनी को देखा कि भानरसे दरवाजा बन्द है । दरबाना सोल्नेको चेट को, पर वह मदों सुला दासर ये पती-पेटी बात है गे आज दरवाजा बन्द पसेर्गहो। महीने पतासा कि मैंने मेरने गी घी, यहाँ रन्दिनेनो गरिमाँ दी।