पृष्ठ:चंदायन.djvu/३९५

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३८७ यह बात हो हो रही थी कि विरजा पहुँची और चिल्लाकर योली-रात मुझसे भुल हो गयी। में दूसरे की चादर तुम्हे दे गयी। अपनी चादर लेगे। इस प्रकार यह लोरिककी चादर लेकर घर आयी और लोरिकको दे दिया। चन्दाकी वातपर पर्दा पड गया और रोरिक उसके पास फिर उठी तरह जाने आने लगा। इस वरह कुछ दिन चीते । जब चन्दा गर्भवती हो गयी तो सारे गाँवमें इसकी गुपचुप चर्चा होने लगी। तब चन्दाने लोरिकसे कहा कि अब यहाँ रहना कठिन है। जहाँ चार स्त्रियाँ एकन होती हैं, वहीं हम दोनोंनी चर्चा शुरू हो जाती है। इस तरह मेरी बदनामी हो रही है, चलो हम दोनों कहीं भाग चलें। लोरिकने कहा--भादो समाप्त होने दो, दुधार आनेपर मैं तुमको भगाकर ले जाऊँगा। चन्दाने उत्तर दिया-यहाँ एक दिन भी ठहरना कठिन है। शामसे मुबह होनेवक जैसे भी हो ले चलो। लोरिकने तत्र कहा-रास्तेका कुछ रार्च एकत्र हो जाने दो । भाईसे छिपकर कुछ जमा कर लूं तो ले चलूँगा। चन्दाने कहा-तुम्हारी बुद्धि मारी गयी है। तुम पचीस पचास एकत्र क्रोगे। इतने में रास्तेका खर्च कैसे चलेगा। खर्चकी चिन्ता तुम मत करो। पिताका घर मरा हुआ है। मैं सोनेकी एक पिटारी चुरा लूँगी तो देशमें १२ वर्पतक दुर्भिक्ष पदे तब भी हम दोर्नीका खाया नहीं चुकेगा। यह सुनकर लोरिकने पूछा-विस देश चल्नेका इरादा है। चन्दाने कहा-करीब ही गाल्मे हरदी देश है। वहाँका राजा महुवरी जातिका है। उसके यहाँ धन अपार है। उस नगरमें महीचन्द नामक बननारा रहता है। वहीं मेरा चल्नेका इरादा है। वहीं हम लोगोंका गुजारा हो सकता है। वैसे जैसी तुम्हारी मर्जी। इस प्रकार जब हरदी चलनेकी बात हो गयी तो चन्दाने कहा कि हरदी चल तो रहे हैं, लेकिन इस यातका वादा करो कि तुम महुवरीदे राजा और महीपचन्द पर कभी हाथ न उठाओगे। होरिने इसका वचन दे दिया। तदनन्तर दोनोंने पलायनकी योजना बनायी। लोरिक ने कहा- अगर तुम पहले घरसे निकले तो गौराके मुख्य मार्गसे आगे बढना और रास्ते में जहाँ-तहाँ सिन्दूरवा टीका लगा देना और आगे चलकर. पण्डीके पेडके नीचे मेरी प्रतीक्षा करना । यदि मैं पहले बाहर निकला तो जहाँ-वहाँ मैं अपनी साँडसे निशान बना दूंगा। इस प्रकार गुमचार या सोमवार चलनेका दिन निश्चित हुआ। लोरिक अपने घर लौट आया। दूसरे दिन सुबह जर चन्दा शौचये निमित बाहर निम्ली तो रास्तेमें मजरीसे उसकी भेंट हो गयी। मनरीने चन्दासे पूछा-~-तुम्हें ससारमें दूसरा कोई दुवारा