पृष्ठ:चंदायन.djvu/४०९

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४०१ लोग भागते हुए जब मरकुण्डी दरेंके पास पहुंचे तो मजरीने होरिकसे अपने साथ लायी पिताको साँडका प्रयोग करनेको कहा । किन्तु लोरिक न माना और अपनी ही खाँडसे काम लेता रहा । जब उसकी साँद्ध पत्थरकी चटानसे टकराकर दो टुकड़े हो गयी तो हारकर उसे मजरीकी लायी हुई सॉड को लेना पड़ा । उसने लगते ही पत्थरके चट्टानके टुकड़े टुकडे हो गये और लोरिक उसकी सहायतासे शनुओंको मार भगानेमें सफल रहा । इस प्रकार विजयपूर्वक वे लोग मजरीको अपने घर ले आये । भागलपुरी रूप शरचन्द्र मिनने अहीरोंम दुगाको पूजाके प्रचारनपर विचार करते हुए गरिककी कथा इस प्रसगसे दी है कि लोरिकने ही उसका आरम्भ किया था । उनकी दी हुइ कथा स प्रकार है - लोरिक गौरका निवासी ग्वाला था और दुर्गाकी निरन्तर आराधना कर उनका प्रिय भक्त बन गया था। उसकी पत्नी माँजर ज्योतिष विद्यामें पारगत थी । अपरमात उसे एक दिन अपने विद्या बलसे ज्ञात हुआ कि उसके पति लोरिकका उसीके गॉधके हीनजातीय राजाकी बेटी चानैनके साथ गुप्त मेम-सम्बध चल रहा है। अपने विद्या बल्से उसे यह भी मालूम हुआ कि उसी रातको उसका पति चाननको लेकर भाग जाने वाला है। उसने यह बात तत्काल अपनी सासको बतायी और कहा--आज धान इतनी देर तक कूटा जाय ताकि खाना बनाने में देर हो जाय और अधिक से अधिक तरहकी चीजें बनायी जाये, जिससे साना तैयार होनेमे और भी देर हो। इस तरह साना बनाने में रात बहुत बीत गयी। जब सरा होनेको आपा तर परके लोग सोने गये। लोरिक भाग न जाय, इसलिए माँजरने उसे अपनी साडीसे बाँध दिया। बाहर जानेका रास्ता बद रसनेक निमित उसकी माँ दरवाजेरे सामने साट डाल्वर सोयी। ___जब राजाकी बेटी चाननने उस पेडके नीचे, जहाँ शेरिक्ने मिल्नेका वादा किया था, उसे नहीं पाया तो बहुत धरायी और दुर्गाका स्मरण कर उनसे सहायता की याचना की। दुगाने लोरिकको ले आनेका वचन दिया और यहा कि अगर लोरिकके आने देर हुई और यह सपेरा होनेसे पहले न आ सका तो मैं रात सतगुनी कर दूंगी। पल्त दुर्गाने छप्पर फाडकर गरिकवे लिए मार्ग बना दिया ताकि वह अपनी प्रेमिका साथ भाग सके। इस प्रकार दोनों प्रेमी नगरसे निकल कर हरदी लिए रवाना हुए | रास्तेमें चाननने कहा-जब तक तुम मुझे अपनी पनी न बना लोगे तब तक मैं तुम्हारी थालीम नही साऊँगी। निदान यहुत सकोचके पश्चात् लोरिकने चानेनके माथेमें सिन्दूर पहना दिया। यह तो विवाहका द्योतक मात्र था। वास्तविक विवाह तो पीछे देवी दुर्गाने अपनी सात बहनोंकी सहायतासे किया । १ क्वार्टला जनल आव द मियिक सोसादगे, भाग २५, पृ० १२२ १३५ । २६