पृष्ठ:चंदायन.djvu/४१६

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४०८ ___ एक दिन दोनों एक साथ लान प्ररने गये । जय राजा भल्यारने अपने कपड़े उतारे तो उनकी पीठपर चोटपे बहुतसे निशान दिखाई पड़े। लोरिकने ज्य पूग कि ये कैसे निशान हैं तो मल्वारने बताया कि जब कभी हरवा बरवा इस भोर आते हैं तो मुझे चोट पहुंचाते हैं । ये निशान उगीके हैं। यह देसार लोरिक्ने तत्क्षण प्रतिज्ञाकी कि जबतक हरेवा-बरेवाको पछाड न लूँगा तब तक इस गाँवका अन जल ग्रहण न पगा। और तत्काल चल्नेको प्रस्तुत हो गया । मलवारने कहा-पैदल तुग कभी उसके पास पहुँच न सकोगे। और उसे एक घोडा दिया। उस घोड़ेपर सवार होकर लोरिक दूसरे दिन सूरज निकलते निकलते नेउरपुर पहुँचा । हरेवा-बरेवा उस समय शिफारको गये थे। लेकिन उन्हें खोजता हुआ वहाँ जा पहुँचा। वहाँ वह उनसे भिड गया और उनके सभी साथियोंको मारडाला। तप उन दोनोंने अपना सहायतारे लिए अपने भाजे अगारको बुलाया। रिकने उसे भी परास्त कर दिया और हरेवा-बरेवाको मार डाला। फिर लौटकर लोरिक हरदीमें चनाहनके साथ मुख पूर्वक रहने लगा। फनिंगहमने अपनी रिपोर्टमें सबसे आश्चर्यजनक बात यह लिखा है कि उन्हें इस बात अतिरिक्त पिलोरिक जातिका महिर था, उससे सम्बन्धमैं उस क्षेत्रसे और भोई यात शत न हो रायो। छत्तीसगढ़ी रूप छत्तीसगढमें लोरिक और चन्दाकी कथा जिस रूपमे प्रचलित है, उसे वैरियर एरविनने बिलासपुर जिले कटघोडा तहसील्ये धुरी जमींदारी अर्न्तगत सुनेरा मामनिवासी विणी अहीरसे सुनकर अपनी पुस्तक पीक सांग्स ऑव छत्तीस गदमे दिया है। उनके अनुसार यह पथा इस प्रकार है- __ वाचनवीर नामक एक अहीर था, जो पावन भैगेको दृहपर उनका दूध पीता था। एक दिन उसय मित्र रावतने कहा कि गौनेका दिन आ गया है जाकर अपनी पत्नी चन्दैनीको लिया आओ । मापनवीरने उत्तर दिया कि मेरे सिर दर्द हो रहा है तुम मेरी पयर भोर पोडा ले लो और जाकर दुलहिनको लिवा लाओ। रायत जापर चन्दैनीरो लिया लाया और मादरसे ही उसने पायनवीरयो आवाज दी। उरा रामय यह भात सा रहा था। मात सावर उसने जो वार ली तो उसकी आवाज पारद थोरात्य गुनाई पटी । साना सार पेट सहलाता हुआ घरसे बाहर निकल और दूध दूरनेकी तैयारी करने लगा। चन्दनीयो यह देसपर आधयं टुआ कि मैं आयी हूँ और मेरी ओर उसने बनिय भी ध्यान नहीं दिया । यह सय उराये पास गयी। पहले उसने उराये पैरवी ओर देशा, र उसरे मुँहवी और और पिर उसपे ऑसोयी भोर । तत्काल परमें जाकर पेर धोने लिए यह गरम पानी है आयो । वायाधीरने पानीमरोही पैर डाला यह गान १ पु.४२३७० ।