सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:चंदायन.djvu/५४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

कथा वस्तु चन्दायनमें क्याका आरम्भ १८वें कडवकरी होता है। उसकी कथा इस प्रकार है :- १-गोवर महरका स्थान था। (यह सूचना देकर कविने गोवरके अमराइयों, सरोवर, मन्दिर, पाँई, दुर्ग, नगर निवासियो, सैनिकों, बाजार हाट, बाजीगरों, राज दरबार और महल आदिका वर्णन किया है।) (१८ ३१) २-राय महर व चौरासी रानियाँ थी। उनमें पूलारानी पमहादेवि (प्रधान रानी) थई । (३२) ३-सहदेव (राय महर) घर चाँदने जन्म लिया । धूमधानसे उसकी छठी मनायी गयी। पारहवे महीने महरकी वेटीकी प्रशसा द्वार समुद्र, मावार, गुजरात, तिरहुत, अवध और बदायूँ तक पैल गयी और राजा के पास चादसे विवाह करनेके मदेश आने लगे। जब चॉद चार बरसकी हुई तो जीत (अथवा चेत) ने नाई वाहाण बुलाकर अपने बेटे आवनसे चाँदका विवाह कर देनेका सन्देश सहदेवके पास भेजा। उन्होंने आकर सहदेवको यह सम्बन्ध स्वीकार करनेको समझाया और सदेवने विवाह करना स्वीकार कर लिया । बारात आयी, बावनरे साथ चाँदका विवाह हो गया और दान दहेज लेकर लेग चले गये । (३३-४४) ____Y--विवाहको हुए मारह वर्ष बीत गये । चाँद पूर्ण यौवना हो गयी, पर उसका पति छोटा होने कारण कभी उसी शैय्यापर सोने नहीं आया। इससे वह शोकाकुल रहने लगी। उसकी पाम व्यथाके विलापको उसकी ननदने सुना और जाकर अपनी माँसे कहा । यह मुनकर महार (चाँदकी सास) दौडी हुई उसरे पास आयी और उसे समझाने लगी। चाँदने सासकी बालोंका उत्तर दिया। सासने युद्ध होकर तत्काल मैरे भेज देनेकी बात कही । अब चाँदको उस घरमे रहना दूभर लगने लगा। उसने ब्राह्मण बुलाकर अपने पितारे पास कहलाया कि भाईको पालकी कहारके साथ भेजकर मुझे शीघ्र बुला ले ! ब्राह्मणने जाकर चॉदको बात महरमे कही और महरने तत्काल आदमीको भेजकर उसे बुन्ग लिया । (४५५१) ५-चाँद मैने औट आयी। लोगोंने उसे नहला धुलाकर उसका शृङ्गार किया। सखी-सहेलियाँ उसे देखने आयीं । चे हँसती हुई चाँदको बाहर लिया ले गयीं और धौरहरपर ले जाकर उससे पति-सहवामके सुख भोगकी बाते पूउने लगीं। चाँदने उन्हें अपनी काम-व्यथा कह मुनायी। (यह मम्भवतः बारहमासाके रूपमे व्यक्त किया गया है, पर वह केवल सण्डित रूपमें ही प्रास है।) (५२-६५) ६-कहोसे गोवरमें एक बाजिर (ब्रजयानी साधू) आया और वह गाता और भीख माँगता नगरमे घूमने में लगा । एक दिन चाँद अपने धौरहरपर खड़ी होकर झरोखे. से झाँक रही थी कि उस वाजिरने अपना सिर ऊपर उठाया और चाँदको झरोसेपर देसते ही वह मूर्षित हो गया । रोग उसके चारों ओर जमा हो गये और उसके मुँहपर