पृष्ठ:चंदायन.djvu/६३

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कि टाँड कहाँसे आ रहा है, क्या बनिज उसने लाद रखा है और कहाँ जायगा! फिर उसका नाम धाम उद्यम परिवारकी बात पृटी और अपनी मथा उसे कह सुनायी । यह मुनफर कि टाँड हरदापाटन जायेगा, सोलिन खूर रोयी और मैना आकर उसने पाँवोंपर गिर पड़ी और बताया कि उसके पति लोरकको चाँद भगाकर पाटन ले गयी है। उसने अपनी सारी व्यथा कइ मुनाई (कविने विरह व्यथाका वर्णन बारहमासाके रूपमें किया है)। मैना और खोलिन दोनाने सिरजनसे लोरमके पास जाने और उससे उनकी दीन दुसीकी अवस्था रहने और वापस आनेका आग्रह करनेका अनुरोध किया । (३९७ ४१६) ४९-सिरजन मैनाका सन्देश लेकर चला और चार मासम हरदोंपाटन जा पहुँचा। लोरको घरका पता लगार यहाँ गया और अपने भानेकी सूचना भेजी। उस समा लरक सो रहा था । द्वारपाल ने सूचना दी कि बाहर एक पण्डित आकर बडा है । मुनते ही औरक बाहर आया और प्राझणको प्रणाम किया। बाह्मणने उसे आशीर्वाद दिया और फिर बैठकर पोथी देसकर गशि आदिकी गणना की और बोला कि तुम्हारा राजपाट गोवरमे है और तुम मैनाके पति हो। उसे तुमने भूमिमें डालकर चाँदको आकाशमै चढा रसा है । (४१७ ४२४) ५०-मैनाका नाम सुनते ही लोरकका हृदय घबराने लगा। पूछा मैनाकी बात तुमने कहाँ मुनी और चाँदकी बात तुममे किसने कही १ नुम कहाँसे आये हो ? तुम्हें क्सिने हरदीपाटन भेजा! तुम तो परदेशी नहीं, सहदेशी जान पड़ते हो । माँ, भाई, मैनाका चुशल क्षेम मिले तो तुम्हारे पैरकी धूलि अपने शीशपर लगाऊँ। तब सिरजनने उसे उसने घरकी सारी दुरवस्था कह सुनायो। मेनाको दुरवस्था सुनकर ओरक रोने लगा और उसके लिए व्याकुल हो उठा। बात करते करते शाम हो गयी पर ब्राह्मणकी बात समाप्त न हुई। लगेरश्ने सिरजनको स्नान कराकर भोजन कराया और दो लाख दाम (तॉबेका एक सिक्को) और हजार बैल सामग्री भट की और कहा कि पल चलूँगा। तुम भी मेरे साथ चलो। (४२४४३०) ५१-सिरजन की बात सुनकर चाँद का मुख एक दम मलीन हो उठा । उसने समझ लिया कि लोरक अब अपने घर लौट चलेगा। उसने उस रात कुछ नहीं साया और वह उपासी ही सो रही । (४३१) ५२-दूसरे दिन लोक पाटनके रावरे बुलाने पर उसके पास गया और घरसे आया सदेश बताया और अपने मनकी विकल्ता प्रकट की। तत्काल राजाने उसके जाने की तैयारी कर दी और साथ कुछ सैनिक भी कर दिये, जो उसे गोबर पहुँचा आयें | चाँदने हरदीसे न जाने लिए ोरक्को समझाने बुझानेकी चेष्टाकी पर लोरक्ने उसकी एक न सुनी ! चॉदाको रेकर वह गोवरको ओर चल पड़ा। (४३२ ४३५) ५३-वे लोग जब गोवर के निकट पहुंचे और वह केवल तीस कोस रह गया तो देवहारे आसपास लेगोंने गोवर जाकर यूचना दी कि काई राव सेना लेकर