पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
141
 

इस मकान को देख किशोरी दंग हो गई। उसकी हालत का लिखना बहुत ही मुश्किल है। जिधर को भी उसकी निगाह जाती उधर ही की हो रहती थी, पर उस जगह की सजावट किशोरी अच्छी तरह देखने भी न पाई थी कि पहले की सी और कई लौंडियाँ वहाँ आ मौजूद हुई और बोली, "महाराज को साथ लिए रानी साहिबा आ रही हैं!"

तभी महाराज को साथ लिये रानी साहिबा उस कमरे में आ पहुँची। बेचारी किशोरी को भला क्या मालूम कि ये दोनों कौन हैं या कहाँ के राजा हैं। तो भी इन दोनों की सूरत-शक्ल देखते ही किशोरी रुआब में आ गई। महाराजा की उम्र लगभग पचास वर्ष की होगी। लम्बा कद, गोल चेहरा, बड़ी-बड़ी आँखें, चौड़ी पेशानी, ऊपर को उठी हुई मूँछें, बहादुरी चेहरे पर बरस रही थी। रानी साहिबा की उम्र भी लगभग पैंतीस वर्ष के होगी फिर भी उनके बदन की बनावट और खूबसूरती नौजवान परीजमालों की आँखें नीची करती थी। उनकी बड़ी-बड़ी रतनार आँखों में अब भी वही बात थी जो उनकी जवानी में रही होगी। उनके अंगों की लुनाई में किसी तरह का फर्क नहीं आया था। इस समय एक कीमती धानी पोशाक उनकी खूबसूरती को बढ़ा रही थी और जड़ाऊ जेवरों से उनका बदन भरा हुआ था मगर देखने वाला यही कहेगा कि इन्हें जेवरों की कोई जरूरत ही नहीं, यह तो अपने हुस्न ही के बोझ से दवी जाती हैं।

उन दोनों के रुआब ने किशोरी को पलंग पर पड़े रहने न दिया। वह उठ खड़ी हुई और उनकी तरफ देखने लगी। रानी साहिबा चाहे कैसी ही खूबसूरत क्यों न हों और उन्हें अपनी खूबसूरती पर चाहे कितना ही घमण्ड क्यों न रहा हो, मगर किशोरी की सूरत देखते ही वे दंग हो गईं और उनकी शेखी हवा हो गई। इस समय वह हर तरह से सुस्त और उदास थी, किसी तरह की सजावट उसके बदन पर न थी, तो भी महारानी के जी ने गवाही दे दी कि इससे बढ़ कर खूबसूरत दुनिया में कोई न होगी। किशोरी उनकी खूबसूरती के रुआब में आकर पलंग के नीचे नहीं उतरी थी, बल्कि इज्जत के लिहाज से और यह सोचकर कि जब इस मामूली कमरे की इतनी बड़ी सजावट है तो उनके खास कमरे की क्या नौवत होगी और वह कितने बड़े राज्य और दौलत की मालिक होंगी।

राजा और रानी दोनों ने प्यार की निगाह से किशोरी की तरफ देखा और राजा ने आगे बढ़ कर किशोरी की पीठ पर हाथ फेर कर कहा, "वेशक यह मेरी ही पतोहू होने के लायक है।"

इस आखिरी शब्द ने किशोरी के साथ वह काम किया जो नमक जख्म के साथ, आग फूस की झोंपड़ी के साथ, तीर कलेजे के साथ, शराब धर्म के साथ, लालच ईमान के साथ और विजली गिर कर तन-बदन के साथ करती है।