किशोरी––मैंने लौंडियों को हुक्म दे रखा है कि इस कमरे में कोई न आने पावे, मगर साथ ही इसके यह भी कह दिया था कि लाली आने का इरादा करे तो उसे मत रोकना।
लाली––बेशक आपने मेरे ऊपर बड़ी मेहरबानी की।
किशोरी––मगर न मालूम, तुम मेरे ऊपर दया क्यों नहीं करतों! आओ बैठो।
लाली––(बैठ कर) आप ऐसा न कहें। मैं जी-जान से आपके काम आने को तैयार हूँ
किशोर––ये सब बनावटी बातें करती हो। अगर ऐसा ही होता तो अपना और कुन्दन वाला भेद मुझसे क्यों छिपाती? नारंगी वाले भेद से तो मैं पहले ही हैरान हो रही थी, मगर जब से कुन्दन ने अपनी बातों का असर तुम पर डाला है, तब से मेरी घबराहट और भी बढ़ गई है।
लाली––बेशक आपको बहुत-कुछ ताज्जुब हुआ होगा। मैं कसम खा कर कह सकती हूँ कि कुन्दन ने उस समय जो मुझे कहा था या कुन्दन की जिन बातों को सुन कर मैं डर गई थी, वह उसे पहले से मालूम न थीं। अगर मालूम होती तो जिस समय मैंने नारंगी दिखाकर उसे धमकाया था, उसी समय वह मुझसे बदला ले लेती। अब मुझे विश्वास हो गया कि इस मकान में कोई बाहर का आदमी जरूर आया है जिसने हमारे भेद से कुन्दन को होशियार कर दिया। अफसोस, अब मेरी जान मुफ्त में जाया चाहती है क्योंकि कुन्दन बड़ी ही बेरहम और बदकार औरत है।
किशोरी––तुम्हारी बातें मेरी घबराहट को और बढ़ा रही हैं। कृपा करके कुछ कहो तो सही, क्या भेद है?
लाली––मैं सारा हाल आपसे कहूँगी। और आपकी चिन्ता दूर करूँगी, मगर आज रात भर आप मुझे और माफ कीजिये और इस समय एक काम में मेरी मदद कीजिए।
किशोरी––वह क्या?
लाली––यह तो मुझे विश्वास हो ही गया कि अब मेरी जान किसी तरह नहीं बच सकती, तो भी अपने बचने के लिए मैं कोई न कोई उद्योग जरूर करूँगी। मैं चाहती हूँ कि अपने मरने के पहले ही कुन्दन को इस दुनिया से उठा दूं, मगर एक ऐसी अंडस में पड़ गई हूँ कि ऐसा करने का इरादा भी नहीं कर सकती, हाँ, कुन्दन का कुछ विशेष हाल जानना चाहती हूँ और इसके बाद बाग के उस कोने वाले मकान में घुसा चाहती हूँ जिसमें हरदम ताला बन्द रहता है और दरवाजे पर नंगी तलवार लिये दो औरतें बारी-बारी से पहरा दिया करती हैं। इन्हीं दोनों कामों में मैं आपसे मदद लिया चाहती हूँ।
किशोरी––उस मकान में क्या है, तुम्हें कुछ मालूम है?
लायी––हाँ, कुछ मालूम है और बाकी भेद जानना चाहती हूँ। मुझे विश्वास है कि अगर आप भी मेरे साथ उस मकान के अन्दर चलेंगी और हम दोनों आदमी किसी तरह बच कर निकल आवेंगे, तो फिर आपको भी इस कैद से छुट्टी मिल जायेबी। मगर