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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१७६

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किशोरी-मेरी समझ में कुछ नहीं आता कि क्या हो रहा है। हे ईश्वर, मैंने क्या अपराध किया था कि मुझे चारों तरफ से संकटों ने आकर घेर लिया? हाय, मैं बिल्कुल नहीं जान सकती कि यहाँ कौन मेरा दोस्त है और कौन दुश्मन?

इतना कह किशोरी रोने लगी। उसने अपने को बहुत सँभालना चाहा मगर न हो सका। हिचकियों ने उसका गला दबा दिया। कुन्दन किशोरी के पास बैठ गई और उसका हाथ अपने दोनों हाथों में दबा कर बोली-

"प्यारी किशोरी, यह समझना तो बहुत मुश्किल है कि यहाँ आपका दोस्त कौन है। बात बना कर दोस्ती साबित करना भूल है तिसमें दुश्मन के घर में, हाँ, यह मैं जरूर साबित कर दूँगी कि लाली आपसे दुश्मनी रखती है। लाली ने आपसे जरूर कहा होगा कि आपकी तरह मैं भी कुमार के साथ ब्याह करने के लिए लाई गई हैं। मगर नहीं, यह बात बिल्कुल झूठ हैं। सचाई तो यह है कि लाली मुझको बिल्कुल नहीं जानती और न मैं जानती हूँ कि लाली कौन है। मगर आज-कल लाली जिस फिक्र में पड़ी है, उससे मैं समझती हूँ कि वह आपके साथ दुश्मनी कर रही है। ताज्जुब नहीं कि वह आपको एक दिन उस मकान में ले जाय, जिसका ताला बराबर बन्द रहता है और जिसके दरवाजे पर नंगी तलवार का पहरा पड़ा करता है क्योंकि आज कल वह वहाँ पहरा देने वाली औरतों से दोस्ती बढ़ा रही है और ताला खोलने के लिए एक ताली तैयार कर रही है। उसकी दुश्मनी का अन्त उसी दिन होगा जिस दिन वह आपको उस मकान के अन्दर कर देगी, फिर आपकी जान किसी तरह नहीं बच सकती। उसका ऐसा करना केवल आपही के साथ दुश्मनी करना नहीं, बल्कि यहाँ के राजा और इस राज्य के साथ भी दुश्मनी करना है। बेशक वह आपको उस मकान के अन्दर भेजेगी और आप उस चौखट के अन्दर पैर भी न रक्खेंगी।

किशोरी—उस मकान के अन्दर क्या है?

कुन्दन–सो तो मैं नहीं जानती।

किशोरी–यहाँ का कोई आदमी जानता है?

कुन्दन-कोई नहीं, बल्कि जहाँ तक मैं खयाल करती हूँ, यहाँ का राजा भी उसके अन्दर का हाल नहीं जानता।

किशोरी—क्या मकान कभी खोला नहीं जाता?

कुन्दन-मेरे सामने तो कभी खोला नहीं गया।

किशोरी—फिर कैसे कह सकती हो कि उसके अन्दर जाकर कोई बच नहीं सकता?

कुन्दन-इसका जानना तो कोई मुश्किल नहीं है। पहले तो यही सोचिए कि वहाँ हरदम ताला बन्द रहता है। अगर कोई चोरी से भीतर गया भी तो निकलने का मौका मुश्किल से मिलेगा। फिर हम लोगों को उसके अन्दर जाकर फायदा ही क्या होगा? आपने देखा होगा, उस दरवाजे के ऊपर लिखा है कि-'इसके अन्दर जो जायगा उसका सिर आपसे आप कट कर गिर पड़ेगा!' जो हो, मगर यह सब होते हुए भी लाली आपको उस मकान के अन्दर जरूर भेजना चाहेगी।