पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/१८५

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कुमार—(कुछ सोच कर) तुम इतनी खूबसूरत क्यों हुई? अफसोस! तुम्हारी एक-एक अदा मुझे अपनी तरफ खींचती है। (कुछ अटक कर) जो हो, मुझे अब यहाँ से चले ही जाना चाहिए। अगर ऐसा ही था तो मुझे किश्ती पर चढ़ा कर यहां क्यों लाईं?

औरत-मैंने तो पहले ही आपको चले जाने का इशारा किया मगर जब आप जल में तैर कर यहाँ आने लगे तो लाचार मुझे ऐसा करना पड़ा। मैं जान-बूझ कर उस आदमी को किसी तरह आफत में फँसा नहीं सकती हूँ जिसकी जान खुद एक जालिम ऐयार के हाथ से बचाई हो। आप यह न समझें कि कोई आदमी इस तालाब में तैर कर यहाँ तक आ सकता है, क्योंकि इस तालाब में चारों तरफ जाल फेंके हुए हैं। अगर कोई आदमी यहाँ तैर कर आने का इरादा करेगा तो बेशक जाल में फंस कर अपनी जान बर्बाद करेगा। यही सबब था कि मुझे आपके लिए किश्ती ले जानी पड़ी।

कुमार—बेशक, तब इसके लिए भी मैं धन्यवाद दूंगा। माफ करना, मैं यह नहीं जानता था कि मेरे यहाँ आने से तुम्हारा नुकसान होगा। अब मैं जाता हूँ, मगर कृपा करके अपना नाम तो बता दो जिसमें मुझे याद रहे कि फलां औरत ने बड़े वक्त पर मेरी मदद की थी।

औरत-(हँस कर) मैं अपना नाम नहीं किया चाहती और न इस धूप में आपको यहाँ से जाने के लिए कहती हैं, बल्कि मैं उम्मीद करती हूँ कि आप मेरी मेहमानी कबूल करेंगे।

कुमार-वाह-वाह ! कभी तो आप मुझे मेहमान बनाती हैं और कभी यहाँ से निकल जाने के लिए हुक्म लगाती हैं। आप लोग जो चाहें, करें।

औरत-(हँस कर) खैर, ये सब बातें पीछे होती रहेंगी। अब आप यहाँ से उठे और कुछ भोजन करें, क्योंकि मैं जानती हूँ कि आपने अभी तक कुछ भोजन नहीं किया।

कुमार—अभी तो स्नान-सन्ध्या भी नहीं की है। लेकिन मुझे ताज्जुब है कि यहाँ तुम्हारे पास कोई लौंडी दिखाई नहीं देती।

औरत-आप इसके लिए चिन्ता न करें। आपकी लौंडी मैं मौजूद हूँ। आप जरा बैठे, मैं सब सामान ठीक करके अभी आती हूँ।

इतना कह बिना कुमार की मर्जी पाये वह औरत वहाँ से उठी और बगल के एक कमरे में चली गई। उसके जाने के बाद कुमार कमरे में टहलने और एक-एक चीज को गौर से देखने लगे। यकायक एक गुलदस्ते के नीचे दबे हुए कागज के टुकड़े पर उनकी नजर पड़ी। मुनासिब न था कि उस पुर्जे को उठा कर पढ़ते, मगर लाचार थे। उस पुर्जे के कई अक्षर, जो गुलदस्ते के नीचे दबने से रह गये थे, साफ दिखाई पड़ते थे और उन्हीं अक्षरों ने कुमार को पुर्जा निकाल कर पढ़ने के लिए मजबूर किया। वे अक्षर ये थे-

"किशोरी"

लाचार कुमार ने उस पुरजे को निकाल कर पढ़ा, यह लिखा हुआ था-

"आपके कहे मुताबिक कुल कार्रवाई अच्छी तरह हो रही है। लाली और कुन्दन में खूब घातें चल रही हैं। किशोरी ने भी पूरा धोखा खाया। किशोरी का आशिक