पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 1.djvu/२४८

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बेचारी किशोरी तरह-तरह की आफतों से आप ही बदहवास हो रही थी, अँधेरे में बत्ती लिये यकायक कुन्दन को निकलते हुए देख घबरा गई। उसने घबराहट में कुन्दन को बिल्कुल नहीं पहचाना, बल्कि उसे भूत, प्रेन या कोई आसेब समझकर डर गई और एक चीख मारकर बेहोश हो गई।

कुन्दन ने अपनी कमर से कोई दवा निकालकर किशोरी को सुंघाई जिससे वह अच्छी तरह बेहोश हो गई, इसके बाद अपनी छोटी गठरी में से सामान निकाल कर वह बरवा अर्थात् 'धनपति रंग मचायौ साध्यौ काम...' इत्यादि लिखकर कोठरी में एक तरफ रख दिया और अपनी कमर से एक चादर खोली, जिसे महल से लेती आई थी, उसी में किशोरी की गठरी बाँधी और नीचे घसीट ले गई। जिस तरह पेंच को घुमाकर पत्थर की चट्टान हटाई थी, उसी तरह रास्ता बन्द कर दिया।

यह सुरंग कोठरी के नीचे खत्म नहीं हुई थी, बल्कि दूर तक चली गई थी और आगे यह चौड़ी और ऊँची होती गई थी। किशोरी को लिये हुए कुन्दन उस सुरंग में चलने लगी। लगभग सौ कदम जाने के बाद एक दरवाजा मिला जिसे कुन्दन ने उसी ताली से खोला, आगे फिर उसी सुरंग में चलना पड़ा। आधी घड़ी के बाद सुरंग का अन्त हुआ और कुन्दन ने अपने को एक खोह के मुंह पर पाया।

इस जगह पहुँच कर कुन्दन ने सीटी बजाई। थोड़ी देर में इधर-उधर से पांच आदमी आ मौजूद हुए और एक ने बढ़कर पूछा, "कौन है? धनपतिजी!"

कुन्दन–हाँ रामा, तुम लोगों को यहाँ बहुत दुःख भोगना पड़ा और कई दिन तक अटकना पड़ा।

रामा-जब हमारे मालिक ही इतने दिनों तक अपने को बला में डाले हए थे. जहाँ से जान बचाना मुश्किल था, तो फिर हम लोगों की क्या बात है। हम लोग तो खले मैदान में थे।

कुन्दन-लो, किशोरी तो हाथ लग गई। अब इसे ले चलो और जहाँ तक जल्द हो सके, भागो।

वे लोग किशोरी को लेकर वहाँ से रवाना हुए।

पाठक तो समझ ही गये होंगे कि किशोरी धनपति के काबू में पड़ गई। कौन धनपति ? यह वही धनपति है, जिसे नानक और रामभोली के बयान में आप लोग जान चुके हैं। मेरे इस लिखने से पाठक महाशय चौंकेंगे और उनका ताज्जुब घटेगा नहीं बल्कि बढ़ जायगा, इसके साथ-ही-साथ पाठकों को नानक की यह बात कि 'वह किताब भी जो किसी के खन से लिखी गई है...' भी याद आयेगी, जिसके सबब से नानक ने अपनी जान बचाई थी। पाठक इस बात को भी जरूर सोचेंगे कि कुन्दन अगर असल में धन थी, तो लाली जरूर रामभोली होगी, क्योंकि धनपति को 'किसी के खून से लिखी हुई किताब' का भेद मालूम था और यह भेद रामभोली को मालूम था। जब धनपति ने रोहतासगढ़ महल में लाली के सामने उस किताब का जिक्र किया तो लाली कांप गई. जिससे मालूम होता है कि वह रामभोली ही होगी। किसी के खून से लिखी हुई किताब का नाम सुनकर अगर लाली डर गई तो धनपति भी जरूर समझ गई होगी कि यह