पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१३५

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का दिल बहलाया और इसके बाद कहा, "मेरी तबीयत बहुत खराब हो रही है, यदि कुछ देर तक बाग में टहलूँ तो बेशक जी प्रसन्न हो, मगर कमजोरी इतनी बढ़ गई है कि स्वयं उठने और टहलने की हिम्मत नहीं पड़ती।" मायारानी ने कहा, "कोई हर्ज नहीं, हरनामसिंह सहारा देकर तुम्हें टहलावेंगे, मैं समझती हूँ कि बाग की ताजा हवा खाने और फूलों की खुशबू सूँघने से तुम्हें बहुत कुछ फायदा पहुँचेगा।"

आखिर हरनामसिंह ने बिहारीसिंह को हाथ पकड़ के बाग में अच्छी तरह टहलाया और इस बहाने से तेजसिंह ने उस बाग को तथा वहाँ की इमारतों को भी अच्छी तरह देख लिया। ये लोग घूम-फिर कर मायारानी के पास पहुँचे ही थे कि एक लौंडी ने जो चोबदार थी, मायारानी के सामने आकर और हाथ जोड़कर कहा, "बाग के फाटक पर एक आदमी आया है और सरकार में हाजिर होना चाहता है। बहुत ही बदसूरत और काला-कलूटा है, परन्तु कहता है कि मैं बिहारीसिंह हूँ, मुझे किसी ऐयार ने धोखा दिया और चेहरे तथा बदन को ऐसे रंग से रंग दिया कि अभी तक साफ नहीं होता!"

मायारानी––यह अनोखी बात सुनने में आई कि ऐयारों का रँगा हुआ रंग और धोने से न छुटे! कोई-कोई रंग पक्का जरूर होता है मगर उसे भी ऐयार लोग छुड़ा सकते हैं। (हँसकर) बिहारीसिंह ऐसा बेवकूफ नहीं है कि अपने चेहरे का रंग न छुड़ा सके!

बिहारीसिंह––रहिये-रहिये, मुझे शक पड़ता है कि शायद यह वही आदमी हो जिसने मुझे धोखा दिया, बल्कि ऐसा कहना चाहिए कि मेरे साथ जबर्दस्ती की। (लौंडी की तरफ देखकर) उसके चेहरे पर जख्म के दाग भी हैं?

लौंडी––जी हाँ, पुराने जख्म के कई दाग हैं।

बिहारीसिंह––भौंह के पास भी कोई जख्म का दाग है?

लौंडी––एक आड़ा दाग है, मालूम होता हैं कि कभी लाठी की चोट खाई है।

बिहारीसिंह––बस-बस, यह वही आदमी है, देखो जाने न पावे। चंडूल को यह खबर ही नहीं कि बिहारीसिंह तो यहाँ पहुँच गया है। (मायारानी की तरफ देखकर) यहाँ पर्दा करवा कर उसे बुलवाइये, मैं भी पर्दे के अन्दर रहूँगा, देखिए क्या मजा करता हूँ। हाँ, हरनामसिंह पर्दे के बाहर रहें, देखें पहचानता है या नहीं।

मायारानी––(लौंडी की तरफ देखकर) पर्दा करने के लिए कहो और नियमानुसार आँखों पर पट्टी बाँधकर उसे यहाँ लिवा आओ।

लौंडी––वह यहाँ की हरएक चीज का पूरा-पूरा पता देता है और जरूर इस बाग के अन्दर आ चुका है।

बिहारीसिंह––पक्का चोर है, ताज्जुब नहीं कि यहाँ आ चुका हो! खैर, तुम लोगों को अपना नियम पूरा करना चाहिए।

हुक्म पाते ही लौंडियों ने पर्दे का इन्तजाम कर दिया और वह लौंडी जिसने बिहारीसिंह के आने की खबर दी थी, इसलिए फाटक की तरफ रवाना हुई कि नियमानुसार आँख पर पट्टी बाँधकर बिहारीसिंह को बाग के अन्दर ले आवे और मायारानी