पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१४५

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मानते और प्रायः पूजा करने के लिए आया करते थे परन्तु मुझे आज मालूम हुआ कि वह वास्तव में समाधि नहीं, बल्कि खूनियों का अड्डा है।

मैंने बहुत सिर पीटा मगर कुछ काम न निकला, लाचार यह सोच कर घर की तरफ लौटा कि पहले लोगों को इस मामले की खबर करूँ और इसके बाद आदमियों को साथ लाकर इस समाधि को खुदवा अपनी माँ और बदमाशों का पता लगाऊँ।

रात बहुत थोड़ी रह गई थी जब मैं घर पहुँचा। मैं चाहता था कि अपनी परेशानी का हाल नौकरों से कहूँ, मगर वहाँ तो मामला ही दूसरा था। वह बूढ़ी दाई जिसने मुझे गोद में खिलाया था और अब बहुत ही बूढ़ी और कमजोर हो रही थी, इस समय दरवाजे पर बैठे नौकरों पर खफा हो रही थी और कह रही थी कि आधी रात के समय तुमने लड़के को अकेले क्यों जाने दिया? तुम लोगों में से कोई आदमी उसके साथ क्यों न गया? इतने ही में मुझे देख नौकरों ने कहा, "लो ननकू बाबू आ गये, खफा क्यों होती हो!"

मैंने पास जाकर कहा, "क्या है जो हल्ला मचा रही हो?"

दाई––है क्या, चुपचाप न जाने कहाँ चले गये, न किसी से कुछ कहा न सुना! तुम्हारी माँ बेचारी रो-रोकर जान दे रही है! ऐसा जाना किस काम का कि एक आदमी भी साथ न ले गए, जा क अपनी माँ का हाल तो देखो।

मैं––माँ कहाँ हैं?

दाई––घर में हैं और कहाँ हैं, तुम जाओ तो सही!

दाई की बात सुनकर मैं बड़ी हैरानी में पड़ गया। वहाँ उस चोर ऐयार की जुबानी जो कुछ सुना था उससे तो साफ मालूम हुआ था कि वह मेरी माँ को गिरफ्तार करके ले गया है, मगर घर पहुँच कर सुनता हूँ कि माँ यहाँ मौजूद है! खैर, मैंने अपने दिल का हाल किसी से न कहा और चुपचाप मकान के अन्दर उस कमरे में पहुँचा जिसमें मेरी माँ रहती थी। देखा कि वह चारपाई पर पड़ी रो रही है, उसका सिर फटा हुआ है और उसमें से खून बह रहा है, एक लौंडी हाथ में कपड़ा लिए खून पोंछ रही है। मैंने घबरा कर पूछा, "यह क्या हाल है! सिर कैसे फट गया?"

माँ––मैंने जब सुना कि तुम घर में नहीं हो तुम्हें ढूँढ़ने के लिए घबरा कर नीचे उतरी, अकस्मात् सीढ़ी पर गिर पड़ी। तुम कहाँ गये थे!

मैं––मैं घर में से एक चोर को कुछ असबाब लेकर बाहर जाते देख कर उसके पीछे-पीछे चला गया था?

माँ––(कुछ घबरा कर) क्या यहाँ से किसी चोर को बाहर जाते देखा था?

मैं––हाँ, कहा तो कि उसी के पीछे-पीछे मैं गया था।

माँ––तुम उसके पीछे-पीछे कहाँ तक गए? क्या उसका घर देख आए?

मैं––नहीं, थोड़ी दूर जाने के बाद गलियों में घूम-फिर कर न मालूम वह कहाँ गायब हो गया, मैंने बहुत ढूँढा मगर पता न लगा। आखिर लाचार होकर लौट आया। (लौंडी की तरफ देख कर) कुछ मालूम हुआ, घर में से क्या चीज चोरी हो गई?