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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१७६

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समझ ही गये होंगे कि हमारा इशारा कामिनी की तरफ है। यद्यपि वह ऐसी कोठरी में बन्द थी जिसके अन्दर मर्दो की निगाह नहीं जा सकती थी तथापि कुँअर आनन्दसिंह को इस बात पर ढाढ़स थी कि उनकी प्यारी कामिनी उनसे दूर नहीं है, मगर कुँअर इन्द्रजीतसिंह के रंज का कोई ठिकाना न था। वे कुछ भी नहीं जानते थे कि उनकी प्यारी किशोरी कहाँ और किस अवस्था में है।

इस कैदखाने में छत के सहारे शीशे की एक कन्दील लटक रही थी। उसी में मायारानी का एक आदमी रोज जाकर रोशनी ठीक कर देता था। ठीक कर देना हम इसलिए कहते हैं, कि उस कैदखाने में अँधेरा रहने के कारण दिन-रात बत्ती जला करती थी और ठीक समय पर आदमी जाकर उसे दुरुस्त कर दिया करता था। खाने-पीने का सामान आठ पहर में एक दफे कैदियों को दिया जाता था। कैदखाने की भयानक अवस्था लिखने में हम विशेष समय नष्ट करना नहीं चाहते, क्योंकि हमें किस्सा बहुत लिखना है और जगह कम है।

अब हम उस संध्या का हाल लिखते हैं जिस दिन मायारानी से और चण्डूल से बातचीत हुई थी, या जब कमलिनी से लाड़िली मिली थी। यों तो तहखाने के अन्दर दिन-रात समान था और कैदियों को इस बात का ज्ञान बिल्कुल नहीं हो सकता था कि सूर्य कब उदय और कब अस्त हुआ, तथापि बाहरी हिसाब से हमें समय लिखना ही पड़ता है।

संध्या होने के बाद एक आदमी कैदखाने में आया और कैदियों की तरफ देखकर बोला, "मायारानी की तरफ से इस समय मैं आप लोगों के पास यह कहने के लिए आया हूँ कि कल पहर दिन चढ़ने के पहले ही आप लोग इस दुनिया से उठा दिए जायेंगे। इसके अतिरिक्त अपनी तरफ से अफसोस के साथ आपको इत्तिला देता हूँ कि राजा वीरेन्द्रसिंह और रानी चन्द्रकान्ता को भी हमारी मायारानी ने गिरफ्तार कर लिया है। उन्हीं के सामने आप लोग मारे जायेंगे, और इसके बाद उन दोनों की भी जान ली जायगी।"

इस आदमी के आने के पहले कैदी लोग सुस्त और उदास बैठे हुए थे, मगर जब इस आदमी ने आकर ऊपर लिखी बातें कहीं तो सभी की अवस्था बदल गई। क्रोध से सभी का चेहरा लाल हो गया और बदन काँपने लगा, लेकिन उस आदमी की बात का जवाब किसी ने भी कुछ न दिया।

कैदियों को सन्देशा देने के बाद मायारानी का आदमी उस कोठरी में गया, जिसमें हथकड़ी और बेड़ी से बेबस बेचारी कामिनी कैद थी। थोड़ी ही देर बाद कामिनी को साथ लिए हुए वह आदमी बाहर निकला। उस समय सभी की निगाह उस बेचारी पर पड़ी। देखा कि रंज, गम और दुःख के मारे वह सूखकर काँटा हो गई है। मालूम होता है मानो वर्षों से बीमार है। सिर के बाल खुले और फैले हुए हैं, साड़ी मैली और खराब हो गई है, मगर भोलापन, खूबसूरती और नजाकत ने इस अवस्था में भी उसका साथ नहीं छोड़ा है। उसके दोनों हाथ बँधे थे, और वह बेड़ी के सबब से अच्छी तरह कदम नहीं उठा सकती थी।