पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/१८८

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चट्टान अलग हो गई और सभी लोग उस राह से निकल कर बाहर मैदान में दिखाई देने लगे। बाहर सन्नाटा देख कर कमलिनी ने कहा, "शुक्र है कि यहाँ हमारा दुश्मन कोई नहीं दिखाई देता।"

जिस राह से कुमार और ऐयार लोग बाहर निकले वह पत्थर का एक चबूतरा था, जिसके ऊपर महादेव का लिंग स्थापित था। चबूतरे के नीचे की तरफ का बगल वाला पत्थर खुल कर जमीन के साथ सट गया था और वही बाहर निकलने का रास्ता बन गया था। लिंग की बगल में तांबे का बड़ा-सा नन्दी (बैल) बना हुआ था और उसके मोढ़े पर लोहे का एक सर्प कुण्डली मारे बैठा था। कमलिनी ने साँप के सिर को दोनों हाथ से पकड़ कर उभाड़ा और साथ ही नन्दी ने मुँह खोल दिया, तब कमलिनी ने उसके मुँह में हाथ डाल कर कोई पेंच घुमाया। वह पत्थर की चट्टान जो अलग हो गई थी फिर ज्योंकी-त्यों हो गई और सुरंग का मुँह बन्द हो गया। कमलिनी ने साँप के फन को फिर दबा दिया और बैल ने भी अपना मुँह बन्द कर लिया।

इन्द्रजीतसिंह––(कमलिनी से) यह दरवाजा भी अजब तरह से खुलता और बन्द होता है।

कमलिनी––हाँ, बड़ी कारीगरी से बनाया गया है।

इन्द्रजीतसिंह––इसके खोलने और बन्द करने की तरकीब मायारानी को मालूम होगी?

कमलिनी––जी हाँ, बल्कि (लाड़िली की तरफ इशारा करके) यह भी जानती है, क्योंकि बाग के तीसरे दर्जे में जाने के लिए यह भी एक रास्ता है जिसे हम तीनों बहिनें जानती हैं, मगर उस हाथीवाले दरवाजे का हाल, जिसे आपने खोला था, सिवाय मेरे और कोई भी नहीं जानता।

आनन्दसिंह––यह जगह बड़ी भयानक मालूम पड़ती है!

कमलिनी––जी हाँ, यह पुराना मसान है और गंगाजी भी यहाँ से थोड़ी ही दूर पर हैं। किसी जमाने में जब का यह मसान है, गंगाजी इसी जगह पास ही में बहती थीं मगर अब कुछ दूर हट गईं और इस जगह बालू पड़ गया है।

आनन्दसिंह––खैर, अब क्या करना और कहाँ चलना चाहिए?

कमलिनी––अब हमको गंगा पार होकर जमानिया में पहुँचना चाहिए। वहाँ मैंने एक मकान किराये पर ले रवखा है जो बहुत ही गुप्त स्थान में है, उसी में दो-तीन दिन रह कर कार्रवाई करूँगी।

इन्द्रजीतसिंह––गंगा के पार किस तरह जाना होगा?

कमलिनी––थोड़ी ही दूर पर गंगा के किनारे एक किश्ती बँधी हुई है जिस पर मैं आई थी, मैं समझती हूँ वह किश्ती अभी तक वहाँ ही होगी।

सवेरा होने में कुछ विलम्ब न था। मन्द-मन्द दक्षिणी हवा चल रही थी और आसमान पर केवल दस-पाँच तारे दिखाई पड़ रहे थे जिनके चेहरे की चमक-दमक चलाचली की उदासी के कारण मन्द पड़ती जा रही थी, जब कि कमलिनी और कुमार