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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/२२०

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से आ पहुँचे। बँधे हुए इशारे के होने से मालूम हो गया कि ये दोनों राजा गोपालसिंह और देवीसिंह हैं। भूतनाथ उन दोनों को अपने साथ लिए हुए धीरे-धीरे कदम रखता हुआ नजरबाग के बीचोंबीच आया जहाँ एक छोटा-सा फव्वारा था।

गोपालसिंह––(भूतनाथ से) कुछ मालूम है कि इस समय किस तरफ पहरा पड़ रहा है?

भूतनाथ––कहीं भी पहरा नहीं पड़ता चारों तरफ सन्नाटा छाया हुआ है। इस मकान में जितने आदमी रहते हैं सभी को मैंने बेहोशी की दवा दे दी है और सब के सब उठने के लिए मुर्दो से बाजी लगाकर पड़े हैं।

गोपालसिंह––तब तो हम लोग बड़ी लापरवाही से अपना काम कर सकते हैं?

भूतनाथ––बेशक!

गोपालसिंह––अच्छा मेरे पीछे-पीछे चले आओ। (हाथ का इशारा करके) हम उस हम्माम को राह तहखाने में घुसा चाहते हैं। क्या तुम्हें मालूम है कि इस समय किशोरी और कामिनी किस तहखाने में कैद हैं?

भूतनाथ––हाँ, जरूर मालूम है। किशोरी और कामिनी दोनों एक ही साथ 'वायु-मण्डप' में कैद हैं।

गोपालसिंह––तब तो हम्माम में जाने की कोई जरूरत नहीं, अच्छा तुम ही आगे चलो।

भूतनाथ आगे-आगे रवाना हुआ और उसके पीछे राजा गोपालसिंह और देवीसिंह चलने लगे। तीनों आदमी उत्तर तरफ के दालान में पहुँचे जिसके दोनों तरफ दो कोठरियाँ थीं और इस समय दोनों कोठरियों का दरवाजा खुला हुआ था। तीनों आदमी दाहिनी तरफ वाली कोठरी में घुसे और अन्दर जाकर कोठरी का दरवाजा बन्द कर लिया। बटुए में से सामान निकाल कर मोमबत्ती जलाई और देखा कि सामने दीवार में एक आलमारी है जिसका दरवाजा एक खटके पर खुला करता था। भूतनाथ उस दरवाजे को खोलना जानता था इसलिए पहले उसी ने खटके पर हाथ रक्खा। दरवाजा खुल जाने पर मालूम हुआ कि उसके अन्दर सीढ़ियाँ बनी हुई हैं। तीनों आदमी उस सीढ़ी की राह से नीचे तहखाने में उतर गये और एक कोठरी में पहुँचे जिसका दूसरा दरवाजा बन्द था। भूतनाथ ने उस दरवाजे को भी खोला और तीनों आदमियों ने दूसरी कोठरी में पहुँच कर देखा कि एक चारपाई पर बेचारी किशोरी पड़ी हुई है, सिरहाने की तरफ कामिनी बैठी धीरे-धीरे उसका सिर दबा रही थी। कामिनी का चेहरा जर्द और सुस्त था मगर किशोरी तो वर्षों की बीमार जान पड़ती थी। जिस चारपाई पर वह पड़ी थी उसका बिछावन बहुत मैला था, और उसी के पास एक दूसरी चारपाई बिछी हुई थी जो शायद कामिनी के लिए हो। कोठरी के एक कोने में पानी का घड़ा, गिलास और कुछ खाने का सामान रक्खा हुआ था।

किशोरी और कामिनी देवीसिंह को बखूबी पहचानती थी मगर भूतनाथ को केवल कामिनी ही पहचानती थी, जब कमला के साथ शेरसिंह से मिलने के लिए कामिनी उस तिलिस्मी खँडहर में गई थी तब उसने भूतनाथ को देखा था और यह भी