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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/८

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पाठक अभी भूले न होंगे कि कुँअर इन्द्रजीतसिंह कहाँ हैं। हम ऊपर लिख आए हैं कि उस मकान में जो तालाब के अन्दर बना हुआ था, कुँअर इन्द्रजीतसिंह दो औरतों को देखकर ताज्जुब में आ गए। कुमार उन औरतों का नाम नहीं जानते थे मगर पहचानते जरूर थे, क्योंकि उन्हें राजगृह में माधवी के यहाँ देख चुके थे और जानते थे कि ये दोनों माधवी की लौंडियाँ हैं। परन्तु यह जानने के लिए कुमार व्याकुल हो रहे थे कि ये दोनों ‌यहाँ कैसे आई। क्या इस औरत से, जो इस मकान की मालिक है, और उस माधवी से कोई सम्बन्ध है? इसी समय उन दोनों औरतों के पीछे-पीछे वह औरत भी आ पहुँची जिसने इन्द्रजीतसिंह के ऊपर अहसान किया था और जो उस मकान की मालिक थी। अभी तक इस औरत का नाम मालूम नहीं हुआ, मगर आगे इससे काम बहुत पड़ेगा, इसलिए जब तक इसका असल नाम मालूम न हो कोई बनावटी नाम रख दिया जाय तो उत्तम होगा, मेरी समझ में तो कमलिनी नाम कुछ बुरा न होगा।

जिस समय कुँअर इन्द्रजीतसिंह की निगाह उन दोनों औरतों पर पड़ी, वे हैरान होकर उनकी तरफ देखने लगे। उसी समय दौड़ती हुई कमलिनी भी आई और दूर ही से बोली––

कमलिनी––कुमार, इन दोनों हरामजादियों का कोई मुलाहिजा न कीजिएगा और न किसी तरह की जुबान ही दीजिएगा। अपनी जान बचाने के लिए ही दोनों आपके पास आई हैं।

इन्द्रजीतसिंह––क्या मामला है? ये दोनों कौन हैं?

कमलिनी––ये दोनों माधवी की लौंडियाँ हैं और आपकी जान लेने आई थीं। मेरे आदमियों के हाथ गिरफ्तार हो गईं।

इन्द्रजीतसिंह––तुम्हारे आदमी कहाँ हैं? मैंने तो इस मकान में सिवाय तुम्हारे किसी को भी नहीं देखा!

कमलिनी––बाहर निकलकर देखिये, मेरे वे सिपाही यहीं मौजूद हैं जिन्होंने इन्हें गिरफ्तार किया।

इन्द्रजीतसिंह––अगर ये गिरफ्तार होकर आई हैं तो इनके हाथ-पैर खुले क्यों हैं?

कमलिनी––इसके लिए कोई हर्ज नहीं। ये मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकतीं, जब तक कि मैं जागती हूँ या अपने होश में हूँ।

इन्द्रजीतसिंह––(उन दोनों की तरफ देखकर) तुम क्या कहती हो?

एक––(कमलिनी की तरफ इशारा करके) ये जो कुछ कहती हैं, ठीक है। परन्तु आप वीर पुरुष हैं, आशा है कि हम लोगों का अपराध क्षमा करेंगे!

कुँअर इन्द्रजीतसिंह इन बातों को सुनकर सोच में पड़ गये। उन्हें उन दोनों औरतों की और कमलिनी की बातों का विश्वास न हुआ, बल्कि यकीन हो गया कि ये