पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/९३

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कमलिनी––नहीं-नहीं, पहले तुम्हारा हाल सुन लूँगी तब कुछ कहूँगी, क्योंकि तुम्हारे चेहरे पर घबराहट और उदासी हद से ज्यादा पाई जाती है।

भूतनाथ––बेशक ऐसा ही है और मैं तुमसे आखिरी मुलाकात करने आया हूँ, क्योंकि अब जीने की उम्मीद नहीं रही और खुली बदनामी बल्कि कलंक मंजूर नहीं

कमलिनी––क्यों क्यों, ऐसी क्या आफत आ गई, कुछ कहो तो सही!

भूतनाथ––मेरे साथ पहाड़ी के नीचे चलो। मैं एक औरत को बेहोश करके लाद लाया हूँ, जो उसी खोह के अन्दर है, पहले उसे देख लो तब मेरी सुनो।

कमलिनी––खैर ऐसा ही सही, चलो।

भूतनाथ के साथ-ही-साथ कमलिनी पहाड़ी के नीचे उतरी और उस खोह के मुहाने पर आकर बैठ गई जिसके अन्दर भूतनाथ ने उस औरत को रखा था। भूतनाथ उस बेहोश औरत को खोह के बाहर निकाल लाया। कमलिनी उस औरत को देखते ही चौंकी और उठ खड़ी हुई।

भूतनाथ––इसी के मारे मेरी जिन्दगी जवाल हो रही है, मगर तुम इसे देखकर चौंकी क्यों? क्या इस औरत को पहचानती हो?

कमलिनी––हाँ, मैं इसे पहचानती। यह वह काली नागिन है कि जिसके डँसने का मन्त्र ही नहीं! जिसे इसने काटा वह पानी तक नहीं माँगता, तुमने इसके साथ दुश्मनी की सो अच्छा नहीं किया।

भूतनाथ––मैंने जान-बूझकर इसके साथ दुश्मनी नहीं की। तुम खुद जानती हो कि मैं इसके काबू में हूँ किसी तरह इसका हुक्म टाल नहीं सकता, मगर कल इसने जो कुछ काम करने के लिए मुझे कहा वह मैं किसी तरह नहीं कर सकता था और इनकार की भी हिम्मत न थी, लाचार इसी खंजर की मदद से गिरफ्तार कर लाया हूँ। अब कोई ऐसी तरकीब निकालो जिसमें जान बचे और मैं वीरेन्द्रसिंह को मुँह दिखाने लायक हो जाऊँ।

कमलिनी––मेरी समझ में नहीं आता कि तुम क्या कह रहे हो! मुझे कुछ भी नहीं मालूम कि तुम इसके कब्जे में क्योंकर फँसे हो, न तुमने इसके बारे में कभी मुझसे कुछ कहा ही।

भूतनाथ––बेशक मैं इसका हाल तुमसे कह चुका हूँ और यह भी कह चुका हूँ कि इसी की बदौलत मुझे मरना पड़ा, बल्कि तुमने वादा किया था कि इसके हाथ से तुम्हें छुट्टी दिला दूँगी।

कमलिनी––हाँ, वह बात मुझे याद है, मगर तुमने तो श्यामा का नाम लिया था!

भूतनाथ––ठीक है, वह यही श्यामा है।

कमलिनी––(हँस कर) इसका नाम श्यामा नहीं है मनोरमा है। मैं इसकी सात पुश्तों को जानती हूँ। वेशक इसने अपने नाम में भी तुमको धोखा दिया। खैर, अब मालूम हुआ कि तुम्हें इसी ने सता रखा है, तुम्हारे हाथ की लिखी हुई दस्तावेज इसी के कब्जे में है और इस सबब से तुम इसे जान से मार भी नहीं सकते। इसने मुझे भी कई