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पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 2.djvu/९८

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कमलिनी––तथापि मुझे हर तरह से दुरुस्त रहना चाहिए। शायद वह समझे कि यह मुझे धोखा देने आई है और चाहती है कि मैं घर के बाहर जाऊँ तो कोई मतलब निकाले।

मनोरमा––(कुछ सोचकर) हाँ, ऐसा हो सकता है। अच्छा, मैं तुम्हें एक परिचय बताती हूँ। जब वह बात उसके कान में कहोगी, तब वह तुम्हारा पूरा विश्वास कर लेगी। परन्तु उस परिचय को बड़ी होशियारी से अपने दिल में रखना, खबरदार! दूसरा न जानने पावे, नहीं तो मुश्किल होगी और मेरी जान किसी तरह न बचेगी।

कमलिनी––तुम विश्वास रक्खो कि वह शब्द सिवाय एक दफे के जब मैं तुम्हारी सखी के कान में कहूँगी, दूसरी दफे मेरे मुँह से न निकलेगा। (इधर-उधर देख कर) जन्दी कहो, अब देर न करो।

मनोरमा––(कमलिनी की तरफ झुक कर धीरे से) 'विकट' शब्द कहना। बस, सन्देह न करेगी और तुम्हें मेरा विश्वासपात्र समझेगी।

कमलिनी––ठीक है, अब जहाँ तक जल्द हो सकेगा, मैं तुम्हारी सखी के पास पहुँचूंगी और अपना मतलब निकालूँगी।

मनोरमा––पहले तो मुझे यह देखना है कि कमलिनी तुम्हें क्योंकर छोड़ती है! जब तुम छूट जाओगी तब कहीं जाकर मुझे अपने छूटने की कुछ उम्मीद होगी।

कमलिनी––(हँस कर) मैं उतनी ही देर में छूट जाऊँगी जितनी देर में तुम एक से लेकर निन्यानवै तक गिन सको।

इतना कह कर कमलिनी ने सीटी बजाई। सीटी की आवाज सुनते ही तारा और भूतनाथ जो वहाँ से थोड़ी दूर पर एक झाड़ी के अन्दर छिपे हुए थे, कमलिनी के पास आ पहुँचे। कमलिनी ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और कहा, "मुझे छोड़ दो।"

भूतनाथ ने कमलिनी को, जो पेड़ से बँधी हुई थी, खोल दिया। कमलिनी उठ कर मनोरमा के पास आई और बोली, "क्यों, मैं अपने कहे मुताबिक छूट गयी या नहीं!"

कमलिनी की चालाकी के साथ ही भूतनाथ की सूरत देखकर मनोरमा सन्न हो गई और ताज्जुब के साथ उन तीनों की तरफ देखने लगी। इस समय भूतनाथ के चेहरे पर उदासी के बदले खुशी की निशानी पाई जाती थी। भूतनाथ ने हँस कर मनोरमा की तरफ देखा और कहा, "क्या अब भी भूतनाथ तेरे कब्जे में है? अगर हो तो कह, इसी समय कमलिनी का सिर काट कर तेरे आगे रख दूँ, क्योंकि वह यहाँ मौजूद है।"

मनोरगा ने क्रोध के मारे दाँत पीसे और सिर नीचा कर लिया। थोड़ी देर बाद बोली, "अफसोस, मैं धोखा खा गई!"

कमलिनी––(तारा से) अब समय नष्ट करना ठीक नहीं। इस हरामजादी को तुम ले जाओ और लोहे वाले तहखाने में बन्द करो, फिर देखा जायगा। (अपने हाथ का नेजा देकर) इस नेजे को अपने पास रखो और वह खंजर मुझे दे दो। अब नेजे के बदले खंजर रखना ही मैं उत्तम समझती हूँ। यद्यपि एक खंजर मेरे पास है परन्तु वह कुँअर इन्द्रजीतसिंह के लिए है।