पृष्ठ:चंद्रकांता संतति भाग 3.djvu/१३२

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किशोरी और कामिनी के गायब हो जाने का तारा को बड़ा रंज हुआ यहाँ तक कि उसने अपनी जान की कुछ भी परवाह न की और तिलिस्मी नेजा हाथ में लिए हुए बेधड़क उस सुरंग में घुस गई। यह वही तिलिस्मी नेजा था जो कमलिनी ने उसे दिया था और जिस पर तारा को बहुत भरोसा था।

आज के पहले तारा को इस सुरंग के अन्दर जाने का अवसर नहीं पड़ा था इसलिए वह नहीं जानती कि यह सुरंग कैसी है, अस्तु, उसने तिलिस्मी नेजे का कब्जा दबाया, उसमें से बिजली की तरह चमक पैदा हुई और उसी रोशनी में तारा ने दरवाजे के अन्दर कदम रक्खा। दो ही कदम जाने बाद नीचे उतरने के लिए कई सीढ़ियाँ दिखाई दीं और जब तारा नीचे उतर गई तो सीधी सुरंग मिली।

तारा बड़ी तेजी के साथ बल्कि यों कहना चाहिए कि दौड़ती हुई उस सुरंग में रवाना हुई और जब वह थोड़ी दूर चली गई तो उसे कई आदमी दिखाई पड़े जो आगे की तरफ जा रहे थे मगर अपने पीछे तिलिस्मी नेजे की अद्भुत चमक देखकर रुक गये थे और ताज्जुब भरी निगाहों से उस चमक को देख रहे थे जो पल भर में पास होकर उनकी आँखों में चकाचौंध पैदा कर रही थी।

ये लोग वे ही थे जो किशोरी और कामिनी को जबर्दस्ती पकड़ के ले गये थे। वे लोग बहुत दूर जाने न पाये थे जब तिलिस्मी नेजा लिए हुए तारा लौट आई थी, इस के अतिरिक्त किशोरी और कामिनी को जबर्दस्ती घसीटते लिए जा रहे थे इसलिए तेज भी नहीं चल सकते थे, यही सबब था कि तारा ने बहुत जल्द उन्हें जा पकड़ा। उन लोगों के साथ एक लालटेन थी मगर नेजे की चमक ने उसे बेकार कर दिया था। जब उन लोगों ने दूर से तारा को देखा तो एक दफे उनकी यह इच्छा हुई कि तारा को भी पकड़ लेना चाहिए परन्तु नेजे की अद्भुत करामात ने उनका दिल तोड़ दिया और चमक से उनकी आँखें ऐसी बेकार हुईं कि भागने का भी उद्योग न कर सके।

बात की बात में तारा उन लोगों के पास जा पहुँची जो गिनती में चार थे। यदि तारा के हाथ में तिलिस्मी नेजा न होता तो वे लोग उसे भी अवश्य पकड़ लेते मगर यहाँ तो मामला ही और था। नेजे की चमक से लाचार होकर वे स्वयं दोनों हाथों से अपनी-अपनी आँखें बन्द कर के बैठ गये थे तथा किशोरी और कामिनी की भी यही अवस्था थी।

तारा ने फुर्ती से तिलिस्मी नेजा चारों आदमियों के बदन से लगा दिया जिससे वे लोग काँप कर बात की बात में बेहोश हो गये। अब तारा ने नेजे का मुट्ठा ढीला किया, उसकी चमक बन्द हो गई और उस समय किशोरी और कामिनी ने आँखें खोल कर तारा को देखा।

किशोरी और कामिनी का हाथ रस्सी से बँधा हुआ था जिसे तारा ने तुरत खोल दिया। किशोरी और कामिनी बड़ी मुहब्बत के साथ तारा से लिपट गई और तीनों की