लगे, तब उन्होंने भी कमला को ताकीद कर दी कि तू अपनी ऐयारी को काम में लाने के लिए इधर-उधर दौड़ना छोड़ के बराबर इसी किले में बैठी रहियो और यदि चारों तरफ की खबर लिए बिना तेरा जी न माने तो हमारे जासूसों को, जो ज्योतिषिजी की मातहती में हैं, जहां जी चाहे भेजा की जियो। इसी तरह ज्योतिषीजी को भी ताकीद कर दी थी कि कमला की खातिरदारी में किसी तरह की कमी न होने पावे तथा यह जस समय जो कुछ चाहे उसका इन्तजाम कर दिया करना और इसमें भी कोई शक नहीं कि पंडित जगन्नाथ ज्योतिषी ने कमला की बड़ी खातिर की। कमला बड़े आराम से यहाँ रहने लगी और जासूसों के जरिये से जहाँ तक हो सकता था, चारों तरफ की खबर भी लेती रही।
आज बहुत दिनों के बाद कमला के चेहरे पर हँसी दिखाई दे रही है। आज वह बहुत खुश है, बल्कि यों कहना चाहिए कि आज उसकी खुशी का अन्दाजा करना बहुत ही कठिन है, क्योंकि पंडित जगन्नाथ ज्योतिषी ने तेजसिंह के हाथ की लिखी चिट्ठी कमला के हाथ में दी और जब कमला ने उसे खोल कर पढ़ा तो यह लिखा हुआ पाया "मेरे प्यारे दोस्त ज्योतिषीजी, 20 आज हम लोगों के लिए बड़ी खुशी का दिन है, इसलिए कि हम ऐयार लोग किशोरी, कामिनी, कमलिनी, लाड़िली और तारा को एक साथ लिए हए रोहतासगढ़ की तरफ आ रहे हैं, अस्तु जहाँ तक हो सके पालकियों और सवारियों के अतिरिक्त कुछ फौजी सवारों को भी साथ लेकर तुम स्वयं 'डहना' पहाड़ी के नीचे हम लोगों से मिलो।
तुम्हारा दोस्त
तेजसिंह।"
इस चिट्ठी के पढ़ते ही कमला हद से ज्यादा खुश हो गई और उसकी आँखों से गर्म-गर्म आँसूओं की बूंदें गिरने लगीं, गला भर आया और कुछ देर तक बोलने या कुछ पूछने की सामर्थ्य न रही। इसके बाद अपने को सम्हाल कर उसने कहा
कमला—यह चिट्ठी आपको कब मिली? आप अभी तक गए क्यों नहीं?
ज्योतिषी—यह चिट्ठी मुझे अभी मिली है। मैं तेजसिंहजी के लिखे बमूजिब इन्तजाम करने का हुक्म देकर तुम्हारे पास खबर करने के लिए आया हूँ और अभी चला जाऊँगा।
कमला--आपने बहुत अच्छा किया, मैं भी उनसे मिलने के लिए ऐसे समय अवश्य चलूंगी, मगर मेरे लिए भी पालकी का बन्दोबस्त कर दीजिए, क्योंकि ऐसे समय में दूसरे ढंग पर वहां जाने से मालिक की इज्जत में बड़ा लगेगा।
ज्योतिषीजी-बेशक ऐसा ही है, मैं पहले ही से सोच चुका था कि तुम हमारे साथ चले बिना न रहोगी, इसलिए तुम्हारे वास्ते भी इन्तजाम कर चुका हूँ। पालकी ड्योढ़ी पर आ चुकी होगी, बस तैयार हो जाओ, देर मत करो।
कमला झटपट तैयार हो गई और ज्योतिषीजी ने भी तेजसिंह के लिखे बमूजिब सब तैयारी बात की बात में कर ली। घण्टे भर ही के बाद रोहतासगढ़ पहाड़ के